झिल्ली की सूजन (डिफ्थीरिया) से सम्बंधी लकवा मारे जाने के रोग में जेल्स या कोनायम औषधि का प्रयोग किया जाता है।
22.
डिफ्थीरिया केन्द्रों द्वारा रोग नियंत्रण और रोकथाम (सीडीसी) के लिए इस्तेमाल की वर्तमान परिभाषा के दोनों प्रयोगशाला और नैदानिक मापदंड पर आधारित है।
23.
डिफ्थीरिया रोग, तेज जलन, दर्द, तीव्र और स्थायी अवसन्नता जैसी अवस्थाओं में टारेण्टुला क्यूबेन्सिस औषधि का प्रयोग किया जाता है।
24.
डिफ्थीरिया के बाद या कामुक जीवन व्यतित करने के बाद पक्षाघात रोग हो जाने पर यह औषधि का सेवन करना लाभकारी होता है।
25.
मजिल्स (छोटी चेचक) डिफ्थीरिया रोग के वे लक्षण जिसके होने पर एलेन्थस ग्लैण्डुलोसा औषधि का उपयोग किया जा सकता है:-
26.
गले में जलन होने की अवस्था, डिफ्थीरिया और जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए लैक कैनीनम औषधि का प्रयोग लाभदायक है।
27.
डिफ्थीरिया (झिल्ली की जलन) रोग में डिफ्थीरिनम औषधि की 200 शक्ति या कैलि-म्यूर औषधि की 3 X मात्रा का सेवन लाभदायक होता है।
28.
मिश्रित प्रजाति (टिटनेस डिफ्थीरिया पर्टुसिस) के नियमित टीकाकरण के लिए, पोलियो, इन्फ्लूएंजा टीकाकरण, खसरा (खसरा), रूबेला, जापानी इन्सेफेलाइटिस, बीसीजी, हैपेटाइटिस बी माँ का (उपाय-शिशु संचरण चीज़ें).
29.
डिफ्थीरिया-इसके जीवविष की विशेष क्रिया स्थानिक ऊतकों का नाश, हृदय की पेशियों का क्षय नाड़ीमंडल को क्षत करना है, जिससे स्थानिक पक्षाघात तक हो जाता है।
30.
हृदय की पेशी में जलन कई कारणों से होती है जैसे-टाइफायड, डिफ्थीरिया, दूषित जख्म, वात रोग, उपदंश तथा पुरानी मूत्राशय की जलन आदि।