जब डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी का बुखार उतर जाता है और उसके जीभ की सफेदी कम हो जाती है तब रोगी को फलों का ताजा रस पीकर उपवास तोड़ देना चाहिए और इसके बाद कच्चे सलाद, अंकुरित दालों व सूप का सेवन करना चाहिए।
22.
यदि डेंगू ज्वर में बुखार बहुत तेज हो तो रोगी के माथे पर ठण्डी गीली पट्टी लगानी चाहिए तथा उसके शरीर पर स्पंज, गीली चादर लपेटनी चाहिए और फिर इसके बाद उसे गर्म पादस्नान (पैरों को गर्म पानी से धोते स्नान करना) कराना चाहिए।
23.
डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी के बुखार को ठीक करने के लिए प्रतिदिन रोगी को गुनगुने पानी का एनिमा देना चाहिए तथा इसके बाद उसके पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए और फिर आवश्यकतानुसार उसे गर्म या ठंडा कटिस्नान कराना चाहिए तथा जलनेति क्रिया भी करानी चाहिए।
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[85][86] डेंगू ज्वर में रक्तस्राव की संभावना अधिक होने के कारण एस्पिरिन का प्रयोग करने की सलाह नहीं दी जाती.[87] गुर्दे के रोग, हाइपरयूरिसीमिया या गाउट से ग्रस्त लोगों को एस्पिरिन नहीं लेनी चाहिये क्यौंकि एस्पिरिन गुरदों की यूरिक एसिड का निकास करने की क्षमता को अवरूद्ध कर देती है और इस तरह इन रोगों की तीव्रता को बढ़ा सकती है.
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[85] [86] डेंगू ज्वर में रक्तस्राव की संभावना अधिक होने के कारण एस्पिरिन का प्रयोग करने की सलाह नहीं दी जाती.[87] गुर्दे के रोग, हाइपरयूरिसीमिया या गाउट से ग्रस्त लोगों को एस्पिरिन नहीं लेनी चाहिये क्यौंकि एस्पिरिन गुरदों की यूरिक एसिड का निकास करने की क्षमता को अवरूद्ध कर देती है और इस तरह इन रोगों की तीव्रता को बढ़ा सकती है.