यद्यपि इन ग्रन्थों में प्रमेयव्यवस्था के अवसर पर युक्ति-अनुयायी सौत्रान्तिक और युक्ति-अनुयायी विज्ञानवादियों की विचारधारा के अनुरूप तत्त्वमीमांसा की विशेष रूप से चर्चा की गई है, तथापि ये ग्रन्थ मुख्य रूप से प्रमाणमीमांसा के प्रतिपादक ही हैं।
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५. यद्यपि, विशेष रूप से, उपनिषदों में तत्त्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा, नीतिमीमांसा, ईशमीमांसा आदि सभी एकान्वित ही प्रतीत होती हैं तथापि इनकी सभी शाखाएं मूलतत्त्व के अन्वेषण अर्थात तत्त्वमीमांसा को ही आश्रय करके ही अवस्थित हैं |
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५. यद्यपि, विशेष रूप से, उपनिषदों में तत्त्वमीमांसा, ज्ञानमीमांसा, नीतिमीमांसा, ईशमीमांसा आदि सभी एकान्वित ही प्रतीत होती हैं तथापि इनकी सभी शाखाएं मूलतत्त्व के अन्वेषण अर्थात तत्त्वमीमांसा को ही आश्रय करके ही अवस्थित हैं |
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किसी विषय वस्तु का अपने आप में होना ही उसे पाना होता है, यह कोई दर्शन के तत्त्वमीमांसा की बात नहीं बल्कि हम मनुष्यों की सामान्य चेतना से कहीं ज्यादा सरोकार रखती बात है, कभी-कभार बहुत से तंत्रों को एक साथ नियोजित करने वाले उस मन के निजान्तर्गत होने वाले सूक्ष्म संवाद की दिव्यता का एक हिस्सा भर।