जिस तरह केंचुओं का मल (विष्ठा) खाद के रूप में उपयोगी है, उसी तरह इसका मूत्र भी तरल खाद के रूप में बहुत असरकारक होता है।
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इस अवसर पर उन्होंने तरल खाद के विषय में विस्तार से जानकारी दी जो कि भारत में उपलब्ध नहीं है, इसके स्थान पर उन्होंने ग्रानूलर खाद का प्रयोग करने के लिए कहा।