| 21. | वह कहता है-ढोल गंवार सूद्र पसु नारी, ये सब ताडन के अधिकारी।
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| 22. | नीरज, इस लाइन को हम अबतक 'ये सब ताडन के अधिकारी' के रूप मे पढते आए हैं.
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| 23. | शहरोज़ भाई, तुलसीदास ने किसी भाषण या लेख में नारी को ताडन का अधिकारी नहीं कहा है.
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| 24. | अगर उसके बाद भी वह वही उच्चारण लेकर चलेगा तो वह ताडन का अधिकारी रहेगा ही.
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| 25. | जरा देखें तुलसी पर आरोप है कि उन्हेांने नारी को ‘ ताडन ' की अधिकारी कहा है।
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| 26. | यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता या ढोल गंवार शूद्र पशु नारी ये सब ताडन के अधिकारी.....
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| 27. | ताडन अर्थात् ढ़ीला न छोडना (Loose न छोड़ना) अर्थात् स्वच्छन्द आचरण की अनुमति न देना ।
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| 28. | तुलसी जी के अनुसार तो ढोल, गँवार, सूद्र, पशु और नारी ताडन के अधिकारी है!!!
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| 29. | मेरी आवाज़ पर पधारने के लिए धन्यवाद आजादी दिवस-नारी ताडन की अधिकारी और पुरुष ……….? नमस्कार,
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| 30. | शहरोज़ भाई, तुलसीदास ने किसी भाषण या लेख में नारी को ताडन का अधिकारी नहीं कहा है.
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