तापविद्युत् संयोजनों द्वारा व्यापारिक उपयोगिता की दृष्टि से विद्युत् उत्पन्न करने के अनेक प्रयास किए गए हैं, किंतु जब ये प्रयास आंशिक रूप से सफल हुए तो ज्ञात हुआ कि इनका व्यापारिक महत्व नगण्य है।
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तापविद्युत् संयोजनों द्वारा व्यापारिक उपयोगिता की दृष्टि से विद्युत् उत्पन्न करने के अनेक प्रयास किए गए हैं, किंतु जब ये प्रयास आंशिक रूप से सफल हुए तो ज्ञात हुआ कि इनका व्यापारिक महत्व नगण्य है।
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अब तक विस्तार से अध्ययन किए गए विषय निम्नलिखित हैं: प्रत्यास्थी तथा सुघट्य आचरण, संसंजन तथा संसंजन ऊर्जाएँ, इलेक्ट्रॉवनीय परिवहन (वैद्युत तथा ऊष्मीय चालकता, हाल प्रभाव, तापविद्युत्) ; आयनीय परिवहन (विद्युत्परिवहन, रासायनिक और रेडियधर्मी विसरण) ;
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राज्य के प्रमुख शक्ति-उत्पादक-केंद्र (क्षमता तथा स्वरूप के साथ) ये हैं-गुवाहाटी (तापविद्युत्) 32,500 किलोवाट, नामरूप (तापविद्युत्) लखीमपुर में नहरकटिया से २ ० कि॰मी॰, २ ३, ००० किलोवाट का प्रथम चरण १ ९ ६ ५ में पूर्ण।
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राज्य के प्रमुख शक्ति-उत्पादक-केंद्र (क्षमता तथा स्वरूप के साथ) ये हैं-गुवाहाटी (तापविद्युत्) 32,500 किलोवाट, नामरूप (तापविद्युत्) लखीमपुर में नहरकटिया से २ ० कि॰मी॰, २ ३, ००० किलोवाट का प्रथम चरण १ ९ ६ ५ में पूर्ण।