लकड़ी का चलता फिरता देवघर काष्ठ-तक्षित कावड़ है और है बाजोट, मुखौटे, कठपुतली, लाख की कलात्मक वस्तुएं, मोलेला की मृणमृर्तियां, पीतल के गहने-भरावे, शीशम की लकड़ी पर किये तारकशी आदि की मनोहारी कलाएं।
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“ अम्मा के चढ़ाए का है यह पानदान! ” बड़े चाव से ढक्कन खोलकर तारकशी किया हुआ सरौता उसे दिखाने लगे-‘‘ खिलौना-सा खेलती हुई औरों से बतियाती रहतीं अम्मा और मजे से छालिया कतरती रहतीं।
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' ' बोलते हुए अभिभूत मुन्नू की आंखे सिकुड़कर सीपी हो उठीं-‘‘ सच पूछो तो मौसी, मुगलों का शासन क्या खत्म हुआ कि नक्काशी, तारकशी, पच्चीकारी, फूलदारी, जरदोजी की कला ही चौपट हो गई।
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मैंनपुरी से लकडी पर तारकशी की कलाकृतियां एवं इस कला के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कारीगरों व्दारा तैयार किए जा रहे उत्पादों की कला देखते ही बनती है, वहीं सहारनपुर की प्रदर्शित काष्ठ कला के नमूने भी दर्शकों को खासा लुभा रहे हैं।
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अलंकरण में विभिन्न प्रकार के आभूषण मोती के हार, पीतल के नैकलेस, उड़ीसा की पीतल की सजावटी नक्कशीदार मूर्तियां, जयपुर की तारकशी, लाख की चूड़ी, वूलन कारपेट, नमदे के बनी वॉल पीस की स्टॉल पर लोगों की खासी रौनक देखी गई।
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भारत के विभिन्न स्थानों पर जैसे वाराणसी में लकड़ी की खरीदी हुई वस्तुएँ, बरेली में लकड़ी के घरेलू सामान तथा मेज, कुर्सी, आलमारी इत्यादि सहारनपुर में चित्रकारीयुक्त वस्तुएँ, मेरठ तथा देहरादून में खेल के सामान, श्रीनगर में क्रिकेट के बल्ले तथा अन्य खेल के सामान, मैनपुरी में तारकशी का काम, नगीना तथा धामपुर में नक्काशी का काम, रुड़की में ज्यामितीय यंत्र लखनऊ में विभिन्न खिलौने बनते तथा हाथीदाँत का काम होता है।
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राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के राजसोनी परिवार के जग प्रसिद्घ थेवा कला के जाने-माने कलाकार महेश सोनी ने बताया कि जोहान्सबर्ग में भारत की विविध कलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले इन सभी हस्तशिल्पियों में उनके अलावा राजस्थान से भीलवाड़ा के फड पेटिंग कलाकार गोपाल जोशी, जयपुर के तारकशी कलाकार रामस्वरूप शर्मा एवं सांगानेरी प्रिंट कलाकार मुकेश धनोपिया और सोजत सिटी से गोफ्तीगिरी आर्ट से जुड़े कलाकार राजेश गहलोत शामिल है ।
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भारत के विभिन्न स्थानों पर जैसे वाराणसी में लकड़ी की ख़रीदी हुई वस्तुएँ, बरेली में लकड़ी के घरेलू सामान तथा मेज, कुर्सी, अलमारी इत्यादि सहारनपुर में चित्रकारीयुक्त वस्तुएँ, मेरठ तथा देहरादून में खेल के सामान, श्रीनगर में क्रिकेट के बल्ले तथा अन्य खेल के सामान, मैनपुरी में तारकशी का काम, नगीना तथा धामपुर में नक़्क़ाशी का काम, रुड़की में ज्यामितीय यंत्र, लखनऊ में विभिन्न खिलौने बनते तथा हाथीदाँत का काम होता है।