उसकी पूरी नींद और भरपेट खाना उसका मैंने पूरा ध्यान रखा...मैंने कभी उसे ये महसूस नहीं होने दिया की ये बड़ा तीर मारना है...बिलकुल नोर्मल तरह से वो रेडियो सुनती और फ़िल्में भी देखती....रात आठ बजे सोकर रात दो या ढाई बजे जागती...और बादमे रात में नींद पूरी करके तीन घंटे पढ़ाई करके फिर दो घंटे सो जाती....जब बोर्ड का रिजल्ट आया तब वो बिलकुल निश्चिन्त थी..पर मैं काफी घबरा रही थी....उसके ६९% आये...
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हमारे मित्र जीत साहिब! शायद आपने हिन्दु धार्मिक ग्रन्थो का अध्ययन नही किया है बालमिकी के रामायन से सिद्ध होता है कि स्वय राम जी ने सीता जी की फरमाइश पर बिन बास के ज़माने मे हिरन का शिकार किया था-राजा द्शरथ का श्रव an कुमार को हिरन समझ कर तीर मारना भी permanit है हमारे लिए लिखने मे परेशानी हो रही है वरना मै आपको बताता कि एक दो स्थान नही बल्कि सैकरो शलोक गोश्त खोरी का समर्थन करते है देखिए manusmitti (3-123)
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जंगल कटते जा रहे है, पेडो की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है, ओधोगिकी करण के इस युग मैं दुनिया भर की विषैले पदार्थ हमारे वायुमंडल मैं फैलते जा रहे है और जीवन दायिनी ओजोन परत को नुकसान पंहुचा रहे है, लेकिन अफ़सोस की बात यह है की एसके बारे मैं सोचने का समय किसी के पास नही है, किसी के पास ऐसा समय नही है जो इसको बचाने का विकल्प खोज सके, सभी लोग हवा मैं तीर मारना जानते है लेकिन शायद वो जमीनी हक़ीकत को भूल गए.