उन्होने कहा कि अंग्रेजी हमारे यहां एक भाषा नहीं बल्कि उपकरणहै और उपकरण को आप संवेदना से कैसे जोड़ेंगे? उन्होने आर्किमिडीज, आंगस्टीन आदिवैज्ञानिक महत्वपूर्ण अनुभवों तक अपनी भाषा के जरिए पहुंचे तीसरी दुनियां केदेशों में अंग्रेजी के कारण अधिकतर लोग वैज्ञानिक वनने के वजाय वैज्ञानिकप्रशासक वनकर रह गए.
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उन्होने कहा कि अंग्रेजी हमारे यहां एक भाषा नहीं बल्कि उपकरणहै और उपकरण को आप संवेदना से कैसे जोड़ेंगे? उन्होने आर्किमिडीज, आंगस्टीन आदिवैज्ञानिक महत्वपूर्ण अनुभवों तक अपनी भाषा के जरिए पहुंचे तीसरी दुनियां केदेशों में अंग्रेजी के कारण अधिकतर लोग वैज्ञानिक वनने के वजाय वैज्ञानिकप्रशासक वनकर रह गए.
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यह घृ्रणित विचार अमरीकी अरबपति जाॅ न. ड ी. राॅकफेलर के दिमाग की उपज हैं जिनसे सहमत होकर अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन व विदेश सचिव हैनरी किसिंजर ने बाकायदा कानून बनाकर एक आयोग का गठन किया जिसका मकसद तीसरी दुनियां की आबादी को हर प्रकार से नियंत्रित करना था।
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वहीं सच और सच की दृष्टिकोण और झूठ की तरह उसका दुच्चा होना...नौकर और नौकरशाह अलग है, बिल्कुल अलग दो दुनियाओं की तरह...अमरीका और तीसरी दुनियां के देशों की तरह...पुरोहित की तरह जो हम पर हुक्म चलाता है...हमारी हडि्डयां चिंचोडता है भूखे भेडिए की तरह...हरामी मेरी नौकरी खा गया...नहीं...ऐसे नहीं।`
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इस डर से कि कहीं हमने कड़ी कार्रवाई की तो वहां सेना सत्ता में आ जाएगी या दाढ़ीवाले कब्जा कर लेंगे-ये उसी मानसिकता को ढ़ोना है जिसका शिकार भारतीय शासक वर्ग पचास के दशक के बाद रहा था और तीसरी दुनियां के देशों का प्रेसर ग्रुप बनाने का स्वप्न देखता था।
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अब ये नई पीढ़ी की नाराजगी का साथ निभा रही हैं | ये नाराजगी गज़ल का नया रूप है | अपने इस नये रूप में गज़ल जिन समस्याओं से लड़ रही है वो तीसरी दुनियां की सामूहिक समस्याएं हैं, इसके अहसास और दर्द को विकासशील देशों के साहित्यिक पैमानों से नहीं जांचा जायेगा...
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संपादकीय कक्ष में अपने अधीनस्थों से बातचीत करते वक्त या सभाकक्ष में संपादकीय कर्मचारियों को संबोधित करते वक्त वे हांगकांग में हुई आर्थिक प्रगति और खुली अर्थ व्यवस्था और वहां की कार्य संस्कृति का हवाला देते, श्रम कानूनों को विकास के लिए अवरोध बताते, जबकि सार्वजनिक स्थलों पर तीसरी दुनियां के देशों के हमदर्द बन जाते.