ये बात अलग थी कि मैं उस वक्त के चलन के हिसाब से उनके पास अतुकांत कविता ले कर जाता था और वे कुछ ही मिनटों में मेरी किसी भी अतुकांत कविता को 16 मात्रा वाली तुकांत कविता में बदल डालते थे और हाथों हाथ कम्पोजीटर को आवाज दे कर वेनगार्ड के कम्पोज हो रहे अंक में छापने के लिए दे भी देते थे।
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दुर्गा प्रसाद अग्रवाल की एक दोपहर संगीतकार दान सिंह के साथ बोधि प्रकाशन की पुस्तक पर्व योजना के बंध-02 का विमोचन दिलीप गांधी की फादर डे पर एक तुकांत कविता रपट:-शिक्षा की सर्वग्राहिता ही समाप्त होती जा रही है'-प्रो.रमेश दीक्षित चित्तौड़ एक्सप्रेस का 19 जून,2011 अंक फादर्स डे पर बेटी के नाम एक पत्र 'सफल नहीं, सार्थक बनो' अशोक जमनानी की दो नई कवितायेँ नागार्जुन पर आरा में जसम का एक आयोजन मालवा को रस भरियो तेवार &
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इस कड़ी में गुन्जन जी जिन्होंने मुझे तुकांत कविता से अकविता की तरफ जाने की मज़बूत राह दिखाई, वन्दना बरनवालजी की सशक्त शैली, सत्यशील जी की व्यवहारिक विषयों पर प्रवाहमयी भाषा, दिनेश आस्तिक जी का गहन विषय चयन, राजेश जी की समयानुकूल विषयों की समझ, हरेन्द्र सर की उम्दा भाषा शैली, भानुजी, इमाम हुसैन जी, ज्योत्सना जी, की विषयों पर पकड़, भगवान् बाबू जी की बेबाक स्पष्ट शैली और भी कई प्यारी लेखनियों ने जिनके नाम मैं यहाँ शामिल नहीं कर पाई हूँ..