उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से एक ही परिवार की भारतीय भाषाओं के तुलनात्मक व्याकरण का युग शुरू हुआ जब राबर्ट काल्डवेल (1814-1891) की स्मारकीय कृति (Monumental work) ‘ Comparative Grammar of the Dravidian Languages ' (द्रविड भाषाओं का तुलनात्मक व्याकरण) सन् 1856 में प्रकाशित हुई ।