A और X के अत्यंत यथार्थ मान प्राप्त करने की आधुनिक तकनीकियों में त्रिभुजन (triangulation), शोरन (Shoran), हिरन (Hiran) और अन्य वैद्युत एवं अन्य खगोलिय विधियाँ सम्मिलित हैं, जिनमें कृत्रिम उपग्रह और अत्यंत परिष्कृत खगोलीय दूरबीनों और संक्रमणों का उपयोग होता है।
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इस नई विधि में त्रिभुजन श्रृंखला से संबद्ध एक बड़ा क्षेत्र लिया जाता है, जिसके बीच एक बिंदु को मूलबिंदु चुनकर उसके देशांतर, अंक्षाश और उससे जानेवाली एक रेखा का दिगंश तथा भू-गोलाभ से संबद्ध दो मापें स्वेच्छया चुन ली जाती है (सामान्यतया इन्हें खगोलीय मानों के लगभग ही समझ लेना ठीक रहता है)।
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इस नई विधि में त्रिभुजन श्रृंखला से संबद्ध एक बड़ा क्षेत्र लिया जाता है, जिसके बीच एक बिंदु को मूलबिंदु चुनकर उसके देशांतर, अंक्षाश और उससे जानेवाली एक रेखा का दिगंश तथा भू-गोलाभ से संबद्ध दो मापें स्वेच्छया चुन ली जाती है (सामान्यतया इन्हें खगोलीय मानों के लगभग ही समझ लेना ठीक रहता है)।
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इस नई विधि में त्रिभुजन श्रृंखला से संबद्ध एक बड़ा क्षेत्र लिया जाता है, जिसके बीच एक बिंदु को मूलबिंदु चुनकर उसके देशांतर, अंक्षाश और उससे जानेवाली एक रेखा का दिगंश तथा भू-गोलाभ से संबद्ध दो मापें स्वेच्छया चुन ली जाती है (सामान्यतया इन्हें खगोलीय मानों के लगभग ही समझ लेना ठीक रहता है) ।
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इसके बाद 18 अक्टूबर 1970 को श्री त्रिभुजन नारायण सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आयी लेकिन यह सरकार भी मात्र 6 माह की निर्धारित अवधि में उनके विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं बन पाने के कारण तीन अपै्रल 1971 को श्री त्रिभुजन नारायण सिंह को भी मंत्री पद से हटा दिया गया और चार अपै्रल 1971 को पंडित कमलापति त्रिपाठी पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
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इसके बाद 18 अक्टूबर 1970 को श्री त्रिभुजन नारायण सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आयी लेकिन यह सरकार भी मात्र 6 माह की निर्धारित अवधि में उनके विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं बन पाने के कारण तीन अपै्रल 1971 को श्री त्रिभुजन नारायण सिंह को भी मंत्री पद से हटा दिया गया और चार अपै्रल 1971 को पंडित कमलापति त्रिपाठी पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।