मकडी और ब्लू अम्ब्रेला को छोड़ दें तो विशाल को शेक्सपियर के नाटकों में दखल देने वाला डायरेक्टर ही माना जाता रहा है और वही दखल अंदाजी उनका अपना पेटर्न बन गई इसलिए विशाल के मुरीदों को यही इंतज़ार था कि अब “ डेनमार्क का प्रिन्स हेमलेट ” देखने को मिलेगा, गोया कि शेक्सपियर जैसे महान नाटककार की रचनाओं में दखल देना गुस्ताखी है लेकिन फ़िर भी मकबूल और ओमकारा सराहनीय है और इन खुबसूरत रचनाओं को माफ़ किया जा सकता है।