| 21. | डॉ. मिचेल जुक (विख्यात दन्त्य शल्यक, कोस्मेटिक सर्जन) ने पहली मर्तबा इस शब्दावली का स्तेमाल किया.
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| 22. | आधुनिक प्रतियों में प्रयुक्त तद्भव शब्दों में उनके तत्सम रूप के तालव्य शकार के स्थान पर सर्वत्र दन्त्य सकार का प्रयोग है।
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| 23. | त् थ् द् ध् न् ये सभी दन्त्य उच्चार हैं, यह तो पता है, लेकिन इसे इसी क्रम से क्यों लिया गया?
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| 24. | त् थ् द् ध् न् ये सभी दन्त्य उच्चार हैं, यह तो पता है, लेकिन इसे इसी क्रम से क्यों लिया गया?
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| 25. | आधुनिक प्रतियों में प्रयुक्त तद्भव शब्दों में उनके तत्सम रूप के तालव्य शकार के स्थान पर सर्वत्र दन्त्य सकार का प्रयोग है।
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| 26. | # आधुनिक प्रतियों में प्रयुक्त तद्भव शब्दों में उनके तत्सम रूप के तालव्य शकार के स्थान पर सर्वत्र दन्त्य सकार का प्रयोग है।
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| 27. | इंडो-ईरानी परिवार की भाषाओं में पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए ध्वनियों की प्रकृति कण्ठ्य से तालव्य और फिर दन्त्य में तब्दील हुई है।
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| 28. | इंडो-ईरानी परिवार की भाषाओं में पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए ध्वनियों की प्रकृति कण्ठ्य से तालव्य और फिर दन्त्य में तब्दील हुई है।
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| 29. | दन्त्य-दाँतों और जीभ का स्पर्श होने से निर्माण होने वाले-त्, थ्, द्, ध्, न्, स् ५.
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| 30. | अब और आगे चलें तो बचे हुए निम्नलिखित वर्ण इस प्रकार हैं-य्-तालव्य र्, ळ्-मूर्धन्य ल्-दन्त्य व्-दन्तोष्ठ्य ह्-कण्ठ्य (संस्कृत के अनुसार)
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