कहते थे, बाद में जब लोगों ने अपने मरहूमीन को इस बाग़ में अपने घरों के अन्दर दफ़न करना शुरू किया तो “ दारे अक़ील '' पैग़म्बरे इस्लाम स॰ के ख़ानदान का क़ब्रिस्तान बना और मक़बरा ‘‘ बनी हाशिम ” कहलाया।
22.
आपकी शहादत के बाद हज़रत इमाम हुसैन ने आपको पैग़म्बरे इस्लाम स॰ के पहलू में दफ़न करना चाहा मगर जब एक सरकश गिरोह ने रास्ता रोका और तीर बरसाये तो इमाम हुसैन ने आपको बक़ीअ में दादी की क़ब्र के पास दफ़न किया।
23.
(ब) लाश वाशिंगटन ले गये क्यों? क्या CIA के अधिकारी अपने मित्र के अन्तिम दर्शन के लिये व्याकुल थे या फिर वाइट हाउस में दफ़न करना था जहां बुश परिवार के साथ ओसामा की मित्रता की यादें वातावरण को महकाये हुये है?
24.
इस पृष्ठभूमि में देखा जाए तो लगता है कि भारतीय जनता बहादुरशाह ज़फ़र की लाश को भारत लाकर इस धरती में दफ़न करना चाहती है तथा उनके मज़ार पर उचित ' कत्बा' लगाना चाहती है परन्तु भारत के सत्ताधारी लोग इस 'जनमत' को महत्त्व नहीं दे रहे हैं
25.
इस पृष्ठभूमि में देखा जाए तो लगता है कि भारतीय जनता बहादुरशाह ज़फ़र की लाश को भारत लाकर इस धरती में दफ़न करना चाहती है तथा उनके मज़ार पर उचित ' कत्बा ' लगाना चाहती है परन्तु भारत के सत्ताधारी लोग इस ' जनमत ' को महत्त्व नहीं दे रहे हैं
26.
टूट पड़ना निकास हेतु नाली खोदना खंदक अनधिकार प्रवेश करना सुरक्षा के लिए गड्ढा खोदना अतिक्रमण करना खन्दक खंदक खोदना खाई में लगाना गड़ा देना सुरक्षा के लिए गड्ढा खोदना खाई में दफ़न करना पैर जमा लना खाई में स्थापित करना खंदक खोद कर सुरक्षित करना दूसरे का अधिकार दबा बैठना गहरा खोदना टकराना
27.
इस पृष्ठभूमि में देखा जाए तो लगता है कि भारतीय जनता बहादुरशाह ज़फ़र की लाश को भारत लाकर इस धरती में दफ़न करना चाहती है तथा उनके मज़ार पर उचित ' कत्बा' लगाना चाहती है परन्तु भारत के सत्ताधारी लोग इस 'जनमत' को महत्त्व नहीं दे रहे हैंबहादुरशाह ज़फ़र हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी और पंजाबी भाषाएँ धारा-प्रवाह बोलते थे.
28.
अंतिम समय में मैं [आँख] आपसे एक वादा चाहती हूँ की जेसे आपने ताउम्र मेरी हिफाजत की है बस एक अहसान और करदो मुझे अपने साथ चिता में मत जलाना, न मिटटी में दफ़न करना क्योंकि मरा तो शरीर है में तो अभी भी किसी की अँधेरी दुनिया को रोशन कर सकती हूँ बस ये मेरी आपसे आखरी प्रार्थना है, मुझे किसी और को दान करदो,,,, क्रिपा करके जीते जीते रक्त दान जाते जाते नेत्र दान............ अपील करता रामकुमार [lovely]....
29.
बादशाहनामा में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस राशि में कौन-कौन से व्यय सम्मिलित हैं मूलतः शाहजहाँ ने जो व्यय इस सन्दर्भ में किये थे वे इस प्रकार बनते हैं (१) रानी के शव को बरहानपुर से मंगाना (२) मार्ग में गरीबों तथा फकीरों को सिक्के बाँटना (३) भवन के जिन कक्षों में कब्रे हैं उन्हें खाली कराना (४) शव को दफ़न करना एवं कब्रें बनवाना (५) भवन के ऊपर-नीचे के सभी कमरों को बन्द कराना (६) मकराना से संगमरमर पत्थर मंगाना (७) कुरान लिखाना एवं महरावें ठीक कराना।
30.
10-आयशा की अंतिम इच्छा शिया विद्वान् अल्लामा हाफिज कारी वदूद हयी ने अपनी किताब “ हयाते आयशा ” में लिखा है कि जब रसूल की मौत के बाद लोग अयशा को तसल्ली देने के लिए आये, तो उसने लोगगों से कहा कि यदि मैं मर जाऊं तो मुझे रसूल के साथ उनके हुजरे में दफ़न नहीं करना,बल्कि मुझे अल बाकी कबरिस्तान में दफ़न करना,जहाँ रसूल की दूसरी औरतें दफ़न है, मैं तो चाहती हूँ कि मैं मरने के बाद पत्थर या जंगल का कोई पेड़ बन जाऊं ”