| 21. | ज़ख्म जब भी कोई जहन-ओ-दिल पेर लगा, ज़िंदगी की तरफ एक दरीचा खुला,
|
| 22. | हस्ती चढिये ज्ञान की सहज दरीचा डारि, स्वान रूप संसार है,भूकन दे झख मारि!-कबीर
|
| 23. | ये कैसी है बस्ती, ना दर, ना दरीचा हवा के बिना दम घुटता नहीं है!
|
| 24. | ज़ख़्म जब भी कोई ज़हने दिल पर लगा, ज़िंदगी की तरफ़ इक दरीचा खुला।
|
| 25. | किसके बूते में है आसमान के कैनवस पर ब्रश फेरना? चंद रोज़ पहले एक दरीचा खुला।
|
| 26. | किसके बूते में है आसमान के कैनवस पर ब्रश फेरना? चंद रोज़ पहले एक दरीचा खुला।
|
| 27. | दरीचा याने हमारे घर की खिड़की जहाँ से झांक कर हम हसीं लम्हों को याद करते है.
|
| 28. | यानी मेरठ के जिस भी सिरे पर चले जाइये इतिहास अपनी बाहें पसारे आपको अपना दरीचा खोले मिलेगा।
|
| 29. | निष्पाप. वह भीतर जाते कह गई, “ सोमी, और कोई दरीचा अब नहीं खुलता.. ”
|
| 30. | यहां वामपंथ का एक नया दरीचा ख़ुला, नया चेहरा मिला जिसका मुझे ख्वाब में भी गुमां नहीं था।
|