लेकिन सेंसर बोर्ड से पास होकर निकली फिल्म पर भी किसी न किसी आधार पर हमले करना, फिल्म का संदर्भ जाने बिना उसे धार्मिक भावनाओं के प्रतिकूल और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन बता कर उसका विरोध करना और उस पर यह दलील देना कि विरोध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक जरिया है, कहां तक सही है?