मीन लग्न हो और शुक्र द्वितीय भाव में, सूर्य-चन्द्र लग्न में राहु से दृष्ट या युत हों, शनि पंचम या अष्टम भाव में हो तो जातक को दांत संबंधी रोग होते हैं।
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विभिन्न लग्नों में दंत रोगों का योग मेष लग्न: राहु और बुध द्वितीय भाव में, सूर्य-शनि लग्न में हों और लग्नेश त्रिक भावों में हो, तो दांत संबंधी रोग होते हंै।
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दंत चिकित्सा विज्ञान के विकसित अवस्था में पहुंच जाने के कारण दांत संबंधी बीमारी के इलाज के लिए मरीजों को दांत निकलवाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिसके चलते दंत चिकित्सा के छात्रों को व्यावहारिक प्रयोग के लिए दांत नहीं मिल रहे हैं।
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एक अध्ययन में दिखाया गया है कि जब गर्भवती महिलाओं में दांत संबंधी बीमारी होती है और वे इसका उचित इलाज नहीं करवाती हैंतो इससे समय पर्वू बच्चे को जनने का खतरा रहता है बनिस्बत उन महिलाओं के जिनमें मसूढ़ों की बीमारी नहीं होती है।
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गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं।
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गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं।