” पहले विचार था कि कभी-कभी इस दीप-स्तंभ पर से आलोक जलाकर अपने पिता की समाधि का इस जल से अन्वेषण करूँगी।
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दीप-स्तंभ की ऊपरी खिड़की से यह देखती हुई चंपा ने जया से पूछा-“ यह क्या है जया? इतनी बालिकाएँ कहाँ से बटोर लाई? ”
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एक दिन स्वर्ण-रहस्य के प्रभात में चंपा ने अपने दीप-स्तंभ पर से देखा-सामुद्रिक नावों की एक श्रेणी चम्पा का उपकूल छोड़कर पश्चिम-उत्तर की ओर महाजल-व्याल के समान संतरण कर रही है।
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' ' एक दिन स्वर्ण-रहस्य के प्रभात में चंपा ने अपने दीप-स्तंभ पर से देखा-सामुद्रिक नावों की एक श्रेणी चम्पा का उपकूल छोड़क़र पश्चिम-उत्तर की ओर महाजल-व्याल के समान संतरण कर रही है।
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फिर उसने पूछा-' ' तुम अकेली यहाँ क्या करोगी? '' '' पहले विचार था कि कभी-कभी इस दीप-स्तंभ पर से आलोक जलाकर अपने पिता की समाधि का इस जल से अन्वेषण करूँगी।
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यह एक बडी सच्चाई है कि जब सत्ता बेहिसाब रूपया बटोरने और परिवारवाद का पर्याय होकर रह गई है, तो मोदी एक ऐसे दीप-स्तंभ बनकर उभरे है, कि उनके दामन के पर कोई दाग तो दूर धब्बे तक नहीं है।
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दीप-स्तंभ की ऊपरी खिडकी से यह देखती हुई चंपा ने जया से पूछा-' ' यह क्या है जया? इतनी बालिकाएँ कहाँ से बटोर लाई? '' '' आज रानी का ब्याह है न? ''-कहकर जया ने हँस दिया।