गुह्ममंत्रयान:-जिसमें गुह्म (गुप्त) शब्द का भावार्थ कुछ छिपाकर रखना नहीं, बल्कि सत्य को जानने की प्रक्रिया कि दुर्बोधता और सुक्ष्मता को इंगित करना है।
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क्या यहाँ, चीन या स्पेन में, एक ही संघर्ष ग्रस्त हैं, दुनिया की चुप्पी में दुर्बोधता पीड़ित और आगे खींच हमें दोनों रोइंग हथियार टायर की कोशिश नहीं कर रहा.
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समकालीन साहित् यकारों की रचनाओं पर दुर्बोधता के कारण उनकी ग्रहणीयता या आस् वादकता पर जो प्रश् नचिन् ह लगाया जाता है, वह आकांक्षा जी की रचनाओं में नहीं है।
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अनिल राय ने पूछा कि क्या छंद में दुर्बोधता और सम्प्रेषण की समस्या नहीं होती और क्या छंद मुक्त कविता सुगम एवं सम्प्रेषणीय नहीं होतीं? वास्तव में सम्प्रेषण-संशलिष्ट एवं द्विपक्षीय क्रिया-प्रतिक्रिया व्यापार है।
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अनिल राय ने पूछा कि क्या छंद में दुर्बोधता और सम्प्रेषण की समस्या नहीं होती और क्या छंद मुक्त कविता सुगम एवं सम्प्रेषणीय नहीं होतीं? वास्तव में सम्प्रेषण-संशलिष्ट एवं द्विपक्षीय क्रिया-प्रतिक्रिया व्यापार है।
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[1] कविता की दुर्बोधता के बावजूद[2]-यह व्यंग्य और भविष्यवाणी के बीच घूमती है, वक्ता के अप्रत्याशित परिवर्तन, स्थान और समय, संस्कृति और साहित्य की विशाल रेन्ज के शोकपूर्ण साहित्य के साथ-कविता आधुनिक साहित्य की एक परिचित कसौटी बन गयी है.
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[1] कविता की दुर्बोधता के बावजूद[2]-यह व्यंग्य और भविष्यवाणी के बीच घूमती है, वक्ता के अप्रत्याशित परिवर्तन, स्थान और समय, संस्कृति और साहित्य की विशाल रेन्ज के शोकपूर्ण साहित्य के साथ-कविता आधुनिक साहित्य की एक परिचित कसौटी बन गयी है.
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डा0 जीवन सिंह-पिछली सदी के छठे-सातवें दषकों में समकालीन कविता में समाटबयानी पर खास जोर दिया गया था, जिसकी वजह षायद अकविता द्वारा बनाए गए एक अराजकतावादी महौल को तोड़ना था तथा कविता में निरर्थक दुर्बोधता और अमूर्तन को हटाकर संपेषणीय बनाता था।
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मुक्तिबोध जब बशर्ते तय करो किस ओर हो तुम का आह्वान करते हैं, या पूछते हैं तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है, पार्टनर? तो वह सबसे ज़रूरी सवालों को सीधे समझ में आ जाने वाली भाषा में रखते हैं, ताकि दुरूहता / दुर्बोधता का आरोप न लगे उन पर.
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श्यामल भाई की इस बात से मेरी पूरी सहमत हूँ कि विनोद शुक्ल की रचनाएं वस् तु-रूप में तो कहीं कुछ खास गहन या विरल नहीं प्रस् तुत कर पातीं किंतु भाषा में दुर्बोधता सारी सीमाएं रौंदती ही चली जाती है।...... जो रचनाएँ सम्प्रेषनीय नहीं वह अनर्गल प्रलाप से अधिक कुछ नहीं.