बहरहाल, मैं कोई अलबेला आदमी नहीं हूँ, रेडीमेड कपड़े पहनता हूँ, कोक-पेप्सी पीता हूँ, देहाती लोग कहीं टकरा जाएँ तो इज़्ज़त से पेश आता हूँ लेकिन गाँव-देहात से कोई सीधा सरोकार नहीं है.
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हालाकिं तमाम आरोपों और मेले के मिटते जाने की शंका और आशंकाओं के बीच इस मेले में आने वाले आम देहाती लोग को देखने-सुनने के बाद ऐसा लगता है कि ये लोग अपनी परेशानियों को पीछे छोड़ के यहां आते हैं.
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सिस्टम भ्रष्ट है, सिस्टम चलाने वाले लोग भ्रष्ट हैं, इसलिए कुछ जो ईमानदार आदर्शवादी टाइप देहाती लोग इस सिस्टम में पहुंचते हैं तो उन्हें किन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, इसका बयान है फिल्म में.
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हालाकिं तमाम आरोपों और मेले के मिटते जाने की शंका और आशंकाओं के बीच इस मेले में आने वाले आम देहाती लोग को देखने-सुनने के बाद ऐसा लगता है कि ये लोग अपनी परेशानियों को पीछे छोड़ के यहां आते हैं.
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आप बेहद संवेदनशील और समझदार भारतीय लगते हैं.... फिर भी कहते हैं,“मैं कोई अलबेला आदमी नहीं हूँ, रेडीमेड कपड़े पहनता हूँ, कोक-पेप्सी पीता हूँ, देहाती लोग कहीं टकरा जाएँ तो इज़्ज़त से पेश आता हूँ लेकिन गाँव-देहात से कोई सीधा सरोकार नहीं है।
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आप बेहद संवेदनशील और समझदार भारतीय लगते हैं.... फिर भी कहते हैं, “मैं कोई अलबेला आदमी नहीं हूँ, रेडीमेड कपड़े पहनता हूँ, कोक-पेप्सी पीता हूँ, देहाती लोग कहीं टकरा जाएँ तो इज़्ज़त से पेश आता हूँ लेकिन गाँव-देहात से कोई सीधा सरोकार नहीं है।
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यहां भारतेंदु हरिश्चंद्र के पूर्वज बाबू हर्षचंद्र का 1834 का यह बयान भी हम देख लें, सोने की खपत कम हो जाने का कारण यह है कि पहले इस प्रांत के लोग सुखी थे और देहाती लोग भी बड़ा लाभ उठाते थे.
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आप और भड़ास अब एक वेबपोर्टल ही नहीं हैं बल्कि एक आन्दोलन हैं जिससें मेरे जैसे बहुत से देहाती लोग प्ररेणा पाते हैं तथा तथाकथित अभिजात्य और कुलीन वर्ग की आंखों से आंखें मिलाने का हौसला पैदा करते हैं. ये वक्त भी गुज़र जायेगा...
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इसलिए मजबूरन कहना पड़ता है कि यदि सामान् य श्रमजीवी देहाती लोग स् व विवेक एवं स् वेच् छा से हमारे स् कूलों एवं हमारे साक्षरता अभ्रियानों में शरीक नहीं होते तो उन पर स् कूली शिक्षा एवं साक्षरता को थोपना बन् द होना चाहिये।
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आप और भड़ास अब एक वेबपोर्टल ही नहीं हैं बल्कि एक आन्दोलन हैं जिससें मेरे जैसे बहुत से देहाती लोग प्ररेणा पाते हैं तथा तथाकथित अभिजात्य और कुलीन वर्ग की आंखों से आंखें मिलाने का हौसला पैदा करते हैं. ये वक्त भी गुज़र जायेगा...