ऐसी मूर्तियों में वे द्विभुज हैं और उनका मस्तक मंगलचिह्नों से शोभित सर्पफणों से अलंकृत है।
22.
द्विभुज कृष्ण राधा के साथ गोलोक में तथा चतुर्भुज विष्णु महालक्ष्मी के साथ बैकुंठ चले गये।
23.
चामुंडा के रूप में देवी का स्वरूप, जैसा उपलब्ध मूर्तियों से पता चलता है, द्विभुज और चतुर्भुज भी है।
24.
कमलासन मूर्तियाँ प्राय: द्विभुज होती हैं, जिनमें श्वेत कमल होता है तथा वे सप्ताश्वरथ मे प्रदर्शित की जाती हैं।
25.
बुद्ध हिंदू शिल्पशास्त्रों के अनुसार पद्मासनस्थ हैं, काषायवस्त्र धारण करते हैं, रक्त वर्ण के तथा द्विभुज हैं और त्यक्त आभूषण हैं।
26.
प्रतिमालक्षण ग्रंथों में आभूषणों और कीरिट मुकुट से सुशोभित द्विभुज श्रीराम के मनोहारी और युवराज के रूप में निरूपण मिलता है।
27.
स्थायी मन्दिरों में दोनों प्रकार की मूर्तियां बनती थीं, पर अशोक वृक्ष के नीचे जो मूर्ति बनती थी वह द्विभुज ही होती होगी।
28.
द्विभुज राम के हाथों में धनुष और बाण प्रदर्शित होते हैं, जैसा कि शिवरीनारायण के श्रीराम जानकी मंदिर और खरौद के शबरी मंदिर में मिलता है।
29.
पूजा करते समय और कथा श्रवण-पठन करते समय नीलवसना परम द्युतिमती भगवती श्रीराधाजी के सहित नव-नील-नीरद-श्याम-घन, पीत वस्त्रधारी द्विभुज मुरलीधर पुरुषोत्तम भगवान का ध्यान करते रहना चाहिए।
30.
चतुर्भुज रूप में वे बैकुंठ में देवी लक्ष्मी, सरस्वती, गंगा और तुलसी के साथ वास करते हैं परन्तु द्विभुज रूप में वे गौलोक घाम में राघाजी के साथ वास करते हैं।