इस संबंध में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मातवर सिंह कंडारी ने जिलाधिकारी टिहरी को रगस्या गांव का भूगर्भीय परीक्षण करने और धंसाव वाले क्षेत्र के परिवारों को अन्यत्र बसाने के आदेश दिए थे, लेकिन रगस्या को अन्यत्र बसाना तो दूर बूढ़ाकेदार-अयारखाल मोटरमार्ग की नाली तक पक्की नहीं हो पाई।
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पिछले दिनों टिहरी बांध जलाशय को भरने की जो प्रक्रिया की गई उसके असरों पर माटू जनसंगठन की ओर से नागेन्द्र जगूड़ी ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें बताया गया कि 75 गांवों छोटे-बडे पर भूस्खलन, धंसाव, भूमि कटान के असर और उनके झील में आने का खतरा है ।
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मृदा स्तरण, मृत्तिकाओं की अनपवाह सामर्थ्य, बालू का सापेक्ष घनत्व, कोहेसनलैस मृदाओं की बेयरिंग क्षमता, आकलित नींव धंसाव, ओवर कन्सोलिडेशन अनुपात और पाइल बेयरिंग क्षमता जैसे अनेक मृदा गुणधर्मो का मूल्यांकन उपकरण को मृदा में डालकर शंकु की टिप रजिस्टेंस, स्लीव फ्रिक्शन जैकट और रंध्र दाब के मापन द्वारा किया जाता है ।