(भौतिक विज्ञान के अनुसार इसे विपरीत आवेश ब्रह्माण्ड (विपरीत C ब्रह्माण्ड) कहेंगे क्योंकि यहां धन आवेश और ऋण आवेश मे अदलाबदली हो गयी है लेकिन अन्य सभी कुछ समान है।
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परन्तु हेम्होस नामक जर्मन भौतिकविद् ने यह अवधारणा रखी कि विद्युत ऋण और धन आवेश युक्त होती है और जैसे तत्व परमाणु से बने हैं, उसी प्रकार विद्युत भी कणों से बनी होगी।
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सुषुम्ना को वैज्ञानिक स्थायी द्वितीय केन्द्र (इलेक्टि्रक डायपोल) मानते हैं कि जिसका अधोभाग जो काडा इक्वाइना कहलाता है ऋण आवेश है तथा उर्ध्व वाला '' सेरिब्रम '' नामक भाग धन आवेश युक्त ।
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जिन परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटोन संख्या से अधिक हो जाती है उनपर ऋण आवेश तथा जिनमें इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटोन संख्या से कम हो जाती है उन पर धन आवेश उत्पन्न होता जाता है।
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२. दो प्राथमिक भौतिक कण, ऋण आवेश युक्त इलैक्ट्रॉन तथा धन आवेश युक्त पोज़ीट्रॉन निश्चित दशाओं में एक दूसरे से टकराते हैं और नष्ट हो जाते हैं, यानि दो फ़ोटोनों में अर्थात प्रकाश के क्वांटमों में तबदील हो जाते हैं।
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ईमेल पर श्री महेश शर्मा जी-यह भी उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रोन ऋण आवेशित होते है और प्रोटोन धन आवेशि त. ज ो तत्व इलेक्ट्रोन देते है, उनका धन आवेश बढ़ जाता है और ऐसे मनुष्य सकारात्मक / धनात्मक कार्यों में सलग्न दिखते हैं.