अपने इस आग्रह और दृष्टिकोण को सुव्यक्त करने की दृष्टि से उन्होंने “उणादि सूत्रों” का निर्माण किया और सभी शब्दों को धातुज सिद्ध किया।
22.
यहां धातुज रूप archenemy प्रातिपदिक के रूप में कार्य कर रहा है जिसका प्रयोग विभक्ति शब्द रूप archenemies बनाने के लिए किया जा सकता है.
23.
यदि धातुज अर्थ सिद्धान्त के अनुसार निष्पक्षता से शब्दार्थ करें और फिर उसके अनुसार शब्दानुवाद कर लें तो वेदमन्त्रों का सही अर्थ हो सकता है.
24.
ईसा से ६ ०० वर्ष पूर्व, पाणिनी जैसे विद्वान के रहते स्फोट विज्ञान पर आधारित धातुज शब्द का स्खलन अनायास हो जाये, समझ नहीं आता।
25.
इन धातुज प्रत्यय को (मिश्रित) पदबंधीय धातु में भी जोड़ा जा सकता है जैसे stick-it-to-itiveness संज्ञा में, जिसे stick it to it +-ive +-ness वाक्यांश से प्राप्त किया गया है.
26.
इसमें निघंटु का लक्षण, पद का प्रकार, भाव का विकार, शब्दों का धातुज सिद्धांत, निरुक्त का प्रयोजन और एतत्संबंधी अन्य आवश्यक नियमों के आधार परि विस्तार के साथ विवेचन किया गया है।
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इसमें निघंटु का लक्षण, पद का प्रकार, भाव का विकार, शब्दों का धातुज सिद्धांत, निरुक्त का प्रयोजन और एतत्संबंधी अन्य आवश्यक नियमों के आधार परि विस्तार के साथ विवेचन किया गया है।
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इसमें निघंटु का लक्षण, पद का प्रकार, भाव का विकार, शब्दों का धातुज सिद्धांत, निरुक्त का प्रयोजन और एतत्संबंधी अन्य आवश्यक नियमों के आधार परि विस्तार के साथ विवेचन किया गया है।
29.
धातुज प्रत्यय के अलावा, अन्य शाब्दिक श्रेणियों के शब्दों को सीधे संज्ञा में परिवर्तित किया जा सकता है (बिना किसी स्पष्ट रूपिम संकेत के) एक “रूपांतरण” प्रक्रिया द्वारा (जो शून्य धातुज के रूप में भी जाना जाता है).
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धातुज प्रत्यय के अलावा, अन्य शाब्दिक श्रेणियों के शब्दों को सीधे संज्ञा में परिवर्तित किया जा सकता है (बिना किसी स्पष्ट रूपिम संकेत के) एक “रूपांतरण” प्रक्रिया द्वारा (जो शून्य धातुज के रूप में भी जाना जाता है).