प्राचीन काल में धार्मिक आचार, आध्यात्मिक तत्व-चिंतन एवं नीतिपरक कहानियों की प्रमुखता रही फिर राजा-महाराजाओं के शौर्य और प्रेम, ज्ञान और न्याय, वैराग्य आदि पर कहानियाँ लिखी गईं।
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ये तमाम शब्द प्राचीन समाज की धार्मिक आचार संहिताओं से निकले हैं और अपनी आकांक्षाओं, इच्छाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर के प्रति समर्पण व निष्ठा की ओर संकेत करते हैं।
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ये तमाम शब्द प्राचीन समाज की धार्मिक आचार संहिताओं से निकले हैं और अपनी आकांक्षाओं, इच्छाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर के प्रति समर्पण व निष्ठा की ओर संकेत करते हैं।
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यदि वह आपके कहने पर भी घर वापस आने के लिए तैयार न हो तो, आप उसे अपनी सेवा में रखकर उसके लिए धार्मिक आचार शास्त्र की शिक्षा का प्रबंध करने की अनुकंपा करें”।
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यदि वह आपके कहने पर भी घर वापस आने के लिए तैयार न हो तो, आप उसे अपनी सेवा में रखकर उसके लिए धार्मिक आचार शास्त्र की शिक्षा का प्रबंध करने की अनुकंपा करें ” ।
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जब लोग ऐसा विश्वास करते हैं या अनुभव करते हैं कि उन्हें कुछ कर्म देवों द्वारा निर्धारित समझकर करने चाहिए, तब वे उपासना करते हंै जिससे पुनीत संकल्प या धार्मिक आचार एवं कर्तव्य के भाव की सृष्टि होती है।
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क्यों? क्योंकि इस जीवन में स्वयं विवाह की बहुत सी समस्याएँ हैं, अतः यथासंभव इन समस्याओं को कम करने का प्रयत्न करना चाहिए और आज के हमारे युग में समझदार व्यक्ति अनुभव करते हैं कि धार्मिक आचार व्यवहार और उन लोगों को खुशियों के लिए 'विजातीय विवाह' पुराने दिनों की अपेक्षा आज ज्यादा खतरनाक है।