प्रायः यह सुना जाता है कि हमें धीरे-धीरे चलना है और राष्ट्रभाषा के सम्बन्ध में जल्दी नहीं करना है, किन्तु बीस वर्ष बीत जाने के बाद भी धीरे-धीरे चलने का क्या अर्थ हो सकता है?
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हमारी शुरूआती दिनों की पोस्ट कुछ ऐसी ही थी जैसे जब बच्चा चलना सीखता है तो उसके कदम डगमगाते है पर धीरे-धीरे चलना सीख ही जाता है और इसी तरहडगमगाते हुए हमने भी ब्लॉगिंग के तीन महीने पूरे किए थे।
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हमारी शुरूआती दिनों की पोस्ट कुछ ऐसी ही थी जैसे जब बच्चा चलना सीखता है तो उसके कदम डगमगाते है पर धीरे-धीरे चलना सीख ही जाता है और इसी तरहडगमगाते हुए हमने भी ब्लॉगिंग के तीन महीने पूरे किए थे।
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हममें से दो तीन लोगों की चलने की अच्छी प्रेक्टिस थी सो हमें चलने में परेशानी नहीं हुई पर भाईसाब, भाभी और उनकी बेटी को चलने में परेशानी हो रही थी जिस कारण हमें भी धीरे-धीरे चलना पड़ रहा था।
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इसी के साथ रोगी के घुटनों के नीचे का हिस्सा बिल्कुल ठण्डा पड़ जाना, रोगी को बिल्कुल अचेत अवस्था में पड़े रहना, नाड़ी का धीरे-धीरे चलना, हाथ-पैरों में पसीना आना, रोगी को महसूस होना कि उसके जीवन की आखिरी घड़ी आ गई है आदि लक्षण नज़र आने पर अगर कार्बो वेजिटेबिलिस औषधि का प्रयोग सही तरीके से किया जाए तो रोगी के लिए बहुत लाभकारी रहता है।
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बच्चों को रुक-रुक कर आने वाला बुखार जिसमे रोगी को बहुत हल्का सा बुखार रहता है, बच्चे के शरीर में बहुत कमजोरी आ जाती है, बच्चा हर समय नींद में ही रहता है, चाहकर भी बच्चा कमजोरी के मारे कोई काम नहीं कर सकता, बच्चे को आने वाला बुखार कमर से माथे के पीछे के हिस्से तक ऊपर और नीचे लगातार चढ़ता-उतरता रहता है, बच्चे का ठण्ड के मारे कांपते रहना, नाड़ी का बहुत धीरे-धीरे चलना आदि लक्षणों में रोगी को जेलसिमियम निटिडम औषधि का सेवन कराना बहुत लाभदायक रहता है।