ये धूलिकण, जो ऊष्मा के कुचालक होते हैं भूपृष्ठ पर एवं उसके निकट अधिक होते हैं और वायुमंडल में ऊँचाई के अनुसार कम होते जाते हैं।
22.
मुझे क्या गर्व हो अपनी विभा का चिता का धूलिकण हूँ, क्षार हूँ मैं पता मेरा तुझे मिट्टी कहेगी समा जिसमें चुका सौ बार हूँ मैं
23.
मनुष्य जिस-जिस देवता के उद्देश्य से गृह-दान करता है, अन्त में उसी देवता के लोक में जाता है और घर में जितने धूलिकण हैं, उतने वर्षों तक वहाँ रहता है।
24.
अर्थात, शिव के पैर के नीचे धूलिकण समान पड़े अन्य अपस्मरा, अर्थात भुलक्कड़, पुरुषों की तुलना में केवल कृष्ण ही परम ज्ञानी विष्णु / अमृत शिव के अष्टम अवतार, ब्रह्माण्ड के सार अमृत गंगाधर शिव (पृथ्वी) के निकटतम हैं...
25.
आइए हम बहुत देर हो जाने से पहले, अपने पिछले दिनों का विचार करते हुए, सम्पूर्ण रूप से धूलिकण जैसे छोटे पाप को भी पीछे छोड़े बिना, अपने किए गए सभी पापों का अंगीकार करें और पश्चाताप करें, जिससे हम स्वर्ग वापस जा सकेंगे।
26.
जब-जब आनंद की ओर उचक-उचक कर झाँकते किसी की प्रतीक्षा में खड़े दो नयन अपनी सारी धूलिकण को बहाकर तारों से आती आशा के सन्देश को कोने-कोने की किलकारी बनायेंगे और एक प्रार्थना बिखरने लगेगी कण-कण की कविता से तब-तब मैं पढ़ ली जाऊँगी हर आश्चर्य की पुकारों में
27.
डॉक्टर साहिब, यह तो सभी को पता होगा कि हमारी पृथ्वी कभी आग का गोला थी और हवा-पानी से धीरे धीरे ठंडी हो ऊपर से ठंडी हो धूलिकण और नीचे सख्त किन्तु टूटी फूटी चट्टान आदि में बदल गयी है, एक दूसरे से सटी, दरारें मिटटी से भरी...
28.
एक अन्य प्रमुख वजह यह भी है कि रात में नमी की वजह से धूलिकण भारी हो जाते हैं और हवा में मंडराते नहीं हैं जबकि दिनभर की गरमी के बाद ज़मीन की सतह की नमी उड़ जाती है और धूलिकण गायों के एक साथ चलने की वजह से हवा में उड़ने लगते है।
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एक अन्य प्रमुख वजह यह भी है कि रात में नमी की वजह से धूलिकण भारी हो जाते हैं और हवा में मंडराते नहीं हैं जबकि दिनभर की गरमी के बाद ज़मीन की सतह की नमी उड़ जाती है और धूलिकण गायों के एक साथ चलने की वजह से हवा में उड़ने लगते है।
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एक अन्य प्रमुख वजह यह भी है कि रात में नमी की वजह से धूलिकण भारी हो जाते हैं और हवा में मंडराते नहीं हैं जबकि दिनभर की गरमी के बाद ज़मीन की सतह की नमी उड़ जाती है और धूलिकण गायों के एक साथ चलने की वजह से हवा में उड़ने लगते है।