अख़बार पढ़ते हुए ट्रक के नीचे आ गया एक आदमी वह अपने बायें चल रहा था एक लटका पाया गया कमरे के पंखे पर होटल में वह कहीं बाहर से आया था एक नहीं रहा बिजली का नंगा तार छू जाने से एक औरत नहीं रही अपने खेत में अपने को बचाते हुए एक नहीं रहा डकैतों से अपना घर बचाते हुए
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वह नौकरी नहीं करती, मैं करती हूँ, इस लिहाज़ से वह मुझे कुछ भी कहने की अधिकारिणी हो जाती है, मोहल्ले से हँसती-खिलखिलाती गुज़रती है, मुझे देखते ही उसे दुखों का नंगा तार छू जाता है. “हाई! तुम कितनी लक्की हो!तुम्हें देखकर जलन होती है” का हथगोला मेरी ओर फेंककर, अपना कलेजा ठंडा करके वह आगे बढ़ लेती है.
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वह नौकरी नहीं करती, मैं करती हूँ, इस लिहाज़ से वह मुझे कुछ भी कहने की अधिकारिणी हो जाती है, मोहल्ले से हँसती-खिलखिलाती गुज़रती है, मुझे देखते ही उसे दुखों का नंगा तार छू जाता है. '' हाई! तुम कितनी लक्की हो! तुम्हें देखकर जलन होती है” का हथगोला मेरी ओर फेंककर, अपना कलेजा ठंडा करके वह आगे बढ़ लेती है.
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वह नौकरी नहीं करती, मैं करती हूँ, इस लिहाज़ से वह मुझे कुछ भी कहने की अधिकारिणी हो जाती है, मोहल्ले से हँसती-खिलखिलाती गुज़रती है, मुझे देखते ही उसे दुखों का नंगा तार छू जाता है. '' हाई! तुम कितनी लक्की हो! तुम्हें देखकर जलन होती है '' का हथगोला मेरी ओर फेंककर, अपना कलेजा ठंडा करके वह आगे बढ़ लेती है.
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बिजली सुधारने वाले-राजेश जोशी अक्सर झड़ी के दिनों में जब सन्नाट पड़ती है बौछार और अंधड़ चलते हैं आपस में गुत्थम-गुत्था हो जाते हैं कई तार या कोई नंगा तार बिजली के खम्बे पर पानी में भीगता चिंगारियों में चटकता है एक आग के फूल-सा झरता है अचानक उमड़ आयी अँधेरे की नदी में मोहल्ले के मोहल्ले घुप्प अँधेरे में डूब जाते हैं वे आते हैं बिजली सुधारने वाले पानी से तरबतर टोप लगाए।