रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से उसके साम्राज्य के पूर्वी एवं पश्चिमी मालवा, द्वारका के आस-पास के क्षेत्र, सौराष्ट्र, कच्छ, सिंधु नदी का मुहाना, उत्तरी कोंकण आदि तक विस्तृत होने का उल्लेख मिलता है।
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जब किसी नदी का मुहाना जलमग्न होता हैं तथा वहां सागरीय लहरों एवं धाराओं द्वारा नदी के निक्षेपित पदार्थ को बहा लिया जाता हैं, तब डेल्टा का विकास नही हो पाता एवं नदी सीधे समुद्र में मिल जाती हैं ।
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जब किसी नदी का मुहाना जलमग्न होता हैं तथा वहां सागरीय लहरों एवं धाराओं द्वारा नदी के निक्षेपित पदार्थ को बहा लिया जाता हैं, तब डेल्टा का विकास नही हो पाता एवं नदी सीधे समुद्र में मिल जाती हैं ।
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ठण्ड के मारे एक बार जो सब रजाईयों के अन्दर घुसे, कि फिर किसी ने “ माना ” गाँव जाने का नाम नहीं लिया ; जबकि बद्रीनाथ आनेवाले 3 किलोमीटर दूर माना गाँव जरुर जाते हैं, जहाँ “ व्यास एवं गणेश गुफायें ” तथा सरस्वती नदी का मुहाना है।