तिहाड़ जेल मे रहे सास ससुर पति देवर नन्द नन्दोई १ ० साल आज फिर दूसरी शादी करके जिन्दगी बसर कर रहे हैं ।
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यह भी अजीब कहानी है उस दिन उर्मिला नन्दोई के घर मे चली गयी थी वहां उसे पता चला कि उसकी ननन्द नहीं थी।
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नन्दोई के यहां चाय पीने के बाद उसकी तबियत खराब हो गयी | जब उठी तो उसने अपने आप को रेलवे लाईन के पास पाया ;
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मिली जानकारी के मुताबिक धर्मजीत निवासी मऊ जिला शाहजहांपुर की पत्नी परिवर्तित नाम उर्मिला अपने नन्दोई के साथ फर्रुखाबाद रोडवेज बस अड्डे पर भागते हुए दबोच लिया।
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उर्मिला की नन्द तथा नन्दोई भी उसी शहर में रहते थे जहां उसका मायका था इसलिये वह जब मायके में आती तो वह उनके घर भी जाती थी।
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उसके बाद दाहिने से बाई ओर लेखिका के पति स्वर्गीय श्री दया मित्र माँगलिक व माँगलिक के पिता स्वर्गीय श्री विषन स्वरूप तथा नन्दोई स्वर्गीय श्री विष्णु प्रभाकर बाई तरफ हैं।
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जब वे ब्याह कर जाती हैं तो ससुर और नन्दोई उनके लिए किसी देवदूत से कम नहीं होते, लेकिन बेचारी सास या ननद साक्षात ललिता पंवार का ही रूप होती है।
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मौके पर पहुंचे मृतिका के भाई ने बताया कि एक दिन पूर्व शवीना का फोन उसके मोबाइल पर आया था और उसने नन्दोई द्वारा मारे पीटे जाने की शिकायत की थी।
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तुझे भी तो मैंने ही तैयार किया था ना! और नंदोई सा का तेरी सुहागरात को जो हाल हुआ था, और जो हाल नन्दोई सा ने तेरा किया था, उससे भी कहीं अधिक मजे लेगी शालिनी...
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“ म्हारी ननदल बाई तो सुकुमार ए नन्दोई म्हाने प्यारा लागो जी! ” मां ने कहा था-” देखो भगवान ने नाम का भी कैसा हिसाब बैठाया, अपनी राधा को साक्षात् कृष्ण कन्हैया ही मिले।