उत्तर भारत के इस लोकनाट्य शैली की प्रसिद्धि का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके प्रभाव में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक आते हैं | जयशंकर प्रसाद नौटंकी का सम्बन्ध नाटकी से जोड़ते हैं | अन्य लोक नाटकों की ही तरह नौटंकी के शुरुआत और नामकरण के सम्बन्ध में पर्याप्त मतभेद हैं | कोई इसका सम्बन्ध महाकवि कालिदास के ' मालविकाग्निमित्रम् ' के स्वांग नाट्य से जोड़ता है, तो कोई सिद्ध कन्हपा के डोमिनि के साथ |