एक समय था, जब पारसी थिएटर में बडी नाटकीय शैली में सम्वाद बोले जाते थे, मगर आज भाव के भूखे लोगों को इशारे में समझना अधिक अच्छा लगता है.
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[2] 1970 के दशक में शीर्ष सोवियत नर्तकों ने बैले और अक्सर कथोपकथन कार्यक्रम वाले विषयों पर आधारित तत्वों को शामिल कर बर्फ नृत्य की अधिक एक नाटकीय शैली का विकास शुरू किया.
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अगरबत्तियों की दैवीय सुगंध और काव्य की पैगंबरी वाणी की नाटकीय शैली का वर्णन करते हुए नरेश मेहता ने लिखा है-‘मेरी निश्चित धारणा है कि वात्स्यायन को हमने सहज नहीं होने दिया।
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अगरबत्तियों की दैवीय सुगंध और काव्य की पैगंबरी वाणी की नाटकीय शैली का वर्णन करते हुए नरेश मेहता ने लिखा है-‘ मेरी निश्चित धारणा है कि वात्स्यायन को हमने सहज नहीं होने दिया।
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इस स्थल पर खड़ा हो कर वह बालक जिसे उसके साथ खडे पर्यटक छोटू कह कर सम्बोधित कर रहे थे बहुत ही नाटकीय शैली मे अभिनय पूर्वक सलीम और अनारकली की कहानी प्रस्तुत कर रहा था।
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वैसे तो जब गौरी भाऊ प्रभारी बनाये गये थे तभी से यह चर्चा थी कि नाटकीय शैली में राजनीति करने वाले क्षेत्रीय इंका विधायक हरवंश सिंह और गौरी शंकर बिसेन में से आखिर कौन किसको मात देगा? या कब नूरा कुश्ती चाले हो जावेगी? अब गौरी भाऊ केवलारी क्यों नहीं आ रहे हैं?
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निश्चय ही उनमें सबसे ज्यादा मुखर सईद मिर्जा हैं जो अपनी प्रवाहमयी नाटकीय शैली में दोनों के ही सार तत्व को बता देते हैं-घटक, जो उनके स्तुत्य अध्यापक थे और पीके नायर जो अपनी ही तरह के हर उस चीज के संग्राहक रहे हैं जो उन्हें लगा मूल्यवान हैऔर जिसे सर्वव्याप्त कल्पनाशीलता की गरीबी से बचाने की जरूरत है।
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जब उस दौर की कविताओं को परम्परागत काव्यात्मक प्रसंगों में देखा और समझा जाता है तो भारतेन्दुयुगीन अधिकांश कविताएँ निरर्थक भी लगती है, लेकिन जहाँ हास्य, व्यंग्य और नाटकीय शैली में राष्ट्रीय यथार्थ को मिथकीय संदर्भ के साथ प्रस्तुत किया गया है वहाँ यथार्थ न केवल पैना हो जाता है, बल्कि उसकी गहराई परम्परा और परिवर्तन के उस क्षितिज को प्रभावित करती है जहाँ से नया दृष्टिकोण जन्म लेता है।
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जागरण संवाददाता, जमशेदपुर: छात्र-छात्राओं में रचनात्मक दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रविवार को करीम सिटी कालेज में आयोजित 'कलमकार' प्रतियोगिता में 104 प्रतिभागियों ने हिंदी, उर्दू व अंग्रेजी में अपनी रचनात्मक क्षमता का परिचय दिया। कॉलेज के साहित्यिक-सांस्कृतिक मंच 'स्पार्क' (सोसाइटी फोर प्रोमोशन ऑफ आर्ट एंड कल्चर) की ओर से आयोजित लेखन प्रतियोगिता का विषय 'एक ब्लैकबोर्ड की आत्मकथा' रखा गया था। दिए गए विषय पर 104 छात्र-छात्राओं ने एक घंटे तक कहानी व कविता के अलावा नाटकीय शैली में अपने व
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अनेक शैलियों में ये चरित्र रचना-विधान ढूंढ़ती रहती है अपनी अभिव्यक्ति जैसे कि-विशेषताओं के लिए वर्णात्मक शैली चित्त-वृतियों के लिए आत्मकथनात्मक शैली आपको आकृष्ट करने के लिए संवादात्मक शैली वाग्जाल में क्रीड़ा हेतु प्रसाद अथवा समास शैली आदि-आदि पर सच कहूँ तो मुझे तो यही लगता है कि मेरे अति विशिष्ट यथार्थ के प्रभावी प्रक्षेपण के लिए अथवा आचरण-व्यवहार के विश्वसनीय संयोजन के लिए केवल और केवल अति नाटकीय शैली ही जीवंत सम्प्रेषण का माध्यम रह जता है और मैं अपनी नाटकीय मुस्कराहट की जटिलता से आक्रांत हूँ.