नाट्य रचना रंगमंच के लिए हो या रंगमंच नाट्यालेख के अनुसार ढले-यह बहस जयशंकर प्रसाद की उस प्रसिद्ध टिप्पणी से शुरू हुई थी, जो उन्होंने 1937 में की थी।
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उनका मानना है कि नाट्य शास्त्र में केवल नाट्य रचना के नियमों का आकलन नहीं होता बल्कि अभिनेता रंगमंच और प्रेक्षक इन तीनों तत्वों की पूर्ति के साधनों का विवेचन होता है।
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लेकिन समर्थ लेखक द्वारा नाट्य रचना का सृजन भिन्न प्रकार की रचना प्रक्रिया है, जीवनानुभव, जीवन दर्शन और मानवीय संवेदनाओं के क्रिया व्यापार के बेहतर समुच्चय की संभावना वहाँ अधिक बनती है।
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लेकिन समर्थ लेखक द्वारा नाट्य रचना का सृजन भिन्न प्रकार की रचना प्रक्रिया है, जीवनानुभव, जीवन दर्शन और मानवीय संवेदनाओं के क्रिया व्यापार के बेहतर समुच्चय की संभावना वहाँ अधिक बनती है।
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राकेश ने इस धारा को एक नया मोड़ ही नहीं दिया, वरन् उन्होंने विश्व के समकालीन नाट्य लेखन के समानान्तर ऐसी नाट्य रचना भी की जो आधुनिक भाव-बोध के नए आयाम प्रस्तुत करती है।
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नाट्य रचना:-इसमें गायन, नृत् य रचना या किसी प्रदर्शन में मनोरंजन का कोई रूप, नाट्य प्रबंध या अभिनय जिसका रूप लिखित या किसी अन् य रूप में तय हो, शामिल हैं।
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[हम सभी शानदार तितलियों का मज़ाक उड़ाएंगे] जिसे [इस पंक्ति को] विलियम शेक्सपीयर की नाट्य रचना किंग लियर से उधृत की गई है, उसकी बायीं अंदरूनी कलाई पर यिन और यांग का एक टैटू, उसकी पसली के बायीं तरफ एक कविता है जिसमें लिखा है
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तुगलक आधुनिक भारतीय नाटक और रंगमंच के शीर्षस्थानीय रंगकर्मी गिरीश कारनाड की मुस्लिम शासक मुहम्मद बिन तुगलक के जीवन पर आधारित नाट्य रचना है, जिसमें देश की आजादी के बाद के दो-ढाई दषकों के आदर्शवाद और उससे मोहभंग के यथार्थ को सम्मोहक रूपक में प्रस्तुत क
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तुगलक आधुनिक भारतीय नाटक और रंगमंच के शीर्षस्थानीय रंगकर्मी गिरीश कारनाड की मुस्लिम शासक मुहम्मद बिन तुगलक के जीवन पर आधारित नाट्य रचना है, जिसमें देश की आजादी के बाद के दो-ढाई दषकों के आदर्शवाद और उससे मोहभंग के यथार्थ को सम्मोहक रूपक में प्रस्तुत क...
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काव्य के नाटको के रूप मे प्रस्तुति के क्रम में काव्य का नाट्य रूपांतरण, दृश्यबंध, नृत्य रचना, संगीत संयोजन एवं रचना, संवाद, वेश-भूषा, चरित्र-चित्रण आदि नाट्य रचना एवं प्रस्तुति संबंधी विभिन्न संयोजना के पूर्ण होने के बाद ही कोई प्रदर्शन हो पाता है ।