नापसन्दी का जो चटका है हमारा.... (पैरोडी... ये जो चिलमन है दुश्मन है हमारी) नापसन्दी का जो चटका है हमारा इतना तगड़ा ये फटका है हमारा दूसरा और कोई यहाँ क्यूँ रहे मेरी ही पोस्ट के दरमियां क्यूँ रहे हाँ यहाँ क्यूँ रहे ये यहाँ क्यूँ रहे हां जी हां क्यूँ रहे ये जो हाट लिस्ट है...
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नापसन्दी का जो चटका है हमारा.... (पैरोडी... ये जो चिलमन है दुश्मन है हमारी) नापसन्दी का जो चटका है हमारा इतना तगड़ा ये फटका है हमारा दूसरा और कोई यहाँ क्यूँ रहे मेरी ही पोस्ट के दरमियां क्यूँ रहे हाँ यहाँ क्यूँ रहे ये यहाँ क्यूँ रहे हां जी हां क्यूँ रहे ये जो हाट लिस्ट है...
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किन्तु हमारे “ संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण ” के कल के अन्तिम पोस्ट में एक नापसन्द का चटका लगे देखकर हमें किंचित आश्चर्य अवश्य हुआ क्योंकि प्रायः देखा यही गया है कि किसी ऐसे ग्रंथ को जिसे कि सम्पूर्ण विश्व में मान्यता प्राप्त हो यदि कोई पसन्द नहीं कर पाता तो उसके प्रति, शिष्टाचार के नाते ही सही, अपनी नापसन्दी भी नहीं जताता।
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AMशायद ये देख नही पाए थे आप......इसलिए ये एक बार देख लिजिए...(टिप्पणी की थी)ईर कहे चलो चटका लगाबे जाय, बीर कहे चलो चटका लगाबे जाय, राजा कहे चलो चटका लगाबे जाय, हमहू कहे चलो चटका लगाबे जाय,ईर लगाए पसंद चटका,बीर लगाए पसंद चटका,राजा लगाए पसंद चटका,हमहू लगाए नापसंद चटका,हा हा हा हा...........हा हा हा हा अबे चुप...........बिना नापसन्दी मिले ऊपर को चढ़ाबो!!!!!!!!!!! जरूरी है का?????माफ़ कीजिएगा थोड़ी कमी लगी सो पूरी करने की कोशीश की है