इस टीम ने इन लोगों की अलग-अलग क्रियाओं जैसे कि व्यायाम करना, साइकल चलाना, बागवानी करना, मछली पकड़ना, नाव चलाना आदि पर गौर किया।
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कीर, ब्रितिया (वृत्तिया), सिंगराहा, जालारी, सोंधिया जाति, उप जाति वर्ग समूह सिंघाड़ा एवं कमलगट्टा ऊगाना, पानी भरना, नाव चलाना इनके परम्परागत व्यवसाय रहे हैं।
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जो नाव चलाना जानता है, वह नाव चलाता है, जो मकान बनाना जानता है, वह मकान बनाता है, मगर जो ज्ञानी है, वह स्वयं पर शासन करता है।
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घरों के बाहर, सड़क के गड्ढों में हर जगह छोटी सी झील बन जाती है और तुम्हें उस भरे हुए पानी में नाव चलाना या पानी में छपछप करने में बड़ा मजा आता है।
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वह भी बोल पड़ा-“ अरे सब आराम से चलो, दो जने नाव चलाना, तीन लोग अपने हाथों से पानी फेंकते चलेंगे, पानी इकट्ठा कैसे होगा, अलग-अलग क्यों होते हो? ”
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बचपन में बारिश के पानी को जमा करके उसमें नाव चलाना तो कॉलेज के दिनों में क्लास बंक करके दोस्तों के संग मौज-मस्ती, सड़क किनारे जमा पानी में छई-छप-छई तोह घंटो बारिश में बस स्टॉप में बैठना.
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घर तक पहुँचने के लिए वह वैतरणी में नाव चलाना चाहती थी वह नाव की खोज में जंगल तक गई जहाँ पत्ते झर रहे थे और एक दूसरी स्त्री (हिरनी की तरह घायल थी जो) अपने शिकारी के लिए रो रही थी।
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आज शाम बहुत मस्त बारिश हुई, ठंडी हवा चल रही है, और ऐसे में तुम याद न आओ ये तो नामुमकिन है.बारिशों में तुम और भी याद आती हो.तुम्हे बारिश दीवानगी की हद तक प्यारी थी.उन दिनों तुम्हे बारिशों में भीगना, घुटने तक पानी से गुजरना और अपने कम्पाउंड में नाव चलाना बहुत पसंद था.तुम अक्सर बारिशों में रूमानी हो जाया करती थी और कभी कभी कुछ ऐसी बातें भी कर देती थी जो मुझे हद हैरान कर जाया करती थी.