इसके बाद बायें नासिका छिद्र से लम्बी गहरी श्वास भरें और हाथ की अंगुलियों से बायें नाक के छिद्र को भी बंद कर लें।
22.
दोनों नासिका छिद्र बन्द कर लीजिए और ध्यान कीजिए कि नाभिचक्र में प्राण-वायु द्वारा एकत्रित हुआ तेज नाभि चक्र में एकत्रित हो रहा है ।
23.
1. सूत नेती: एक मोटा लेकिन कोमल धागा जिसकी लंबाई बारह इंच हो और जो नासिका छिद्र में आसानी से जा सके लीजिए।
24.
उसके बाद दायें हाथ के अंगूठे से दाहिने नासिका छिद्र को बन्द करें, तत्पश्चात् बांई नासिका से धीरे-धीरे बिना आवाज़ किए श्वास को अंदर भरें।
25.
यदि दोनों नासिका छिद्र दस दिन तक निरन् तर ऊर्घ् व श्र्वास के साथ चलते रहें तो मनुष् य तीन दिन तक ही जीवित रहता है।
26.
ये द्वार है-> दो आँख, दो कान, दो नासिका छिद्र, दो निचे के द्वार, एक मुंह और दसवा द्वार है सहस्रार चक्र.
27.
हृदय-रूपी आकाश या प्राण-रूपी तट पर ' सप्त ऋषि ' विद्यमान हैं दो कान, दो नेत्र, दो नासिका छिद्र और एक रसना, ये सात ऋषि हैं।
28.
इसमें हाथ के दोनों अंगूठों द्वारा दोनों कान, माध्यिका अंगुलियों से दोनों नासिका छिद्र, अनामिका और कनिष्ठिका अंगुलियों से मुख और तर्जनी अंगुलियों से दोनों आँखें बन्द करनी चाहिए।
29.
जब श्वास अन्दर रोके रखना मुश्किल लगने लगे तो मूलबंध व जालंधर बंध को छोडते हुए अब दांई ओर के नासिका छिद्र से इस श्वास को धीरे-धीरे बाहर की ओर छोडदें ।
30.
जब श्वास अन्दर रोके रखना मुश्किल लगने लगे तो मूलबंध व जालंधर बंध को छोडते हुए अब दांई ओर के नासिका छिद्र से इस श्वास को धीरे-धीरे बाहर की ओर छोडदें ।