रावण नें बालि के अलावा मांधाता (बस्तर का वर्तमान मंधोता ग्राम) के जनजातियों के सरदारों से भी समझौते कर लिये और लंका लौटने से पहले दण्डकारण्य क्षेत्र में अपने प्रतिनिधि खर-दूषण के रूप में किसी निगरानी चौकी या सत्ता प्रतीक की तरह छोड दिये थे।
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सूत्रों के मुताबिक चीनियों ने एक निगरानी चौकी बना ली है जिससे वे भारतीय जवानों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और जैसे ही भारतीय गश्ती दल रवानगी के लिए तैयार होता है, चीनी सैनिक बीच रास्ते में उन्हें रोकते हैं और वापस भेज देते हैं।