धारा-४ के अन्तर्गत जन्म पूर्व निदान तकनीक का प्रयोग केवल निम्न मान्यताओं की जानकारी करने के लिए ही किया जायेगा-१.
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इस समय भी हमारे देश में पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 है जिसे सन् 2003 में लागू किया गया था।
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अल्ट्रासाउण्ड परीक्षण की तरह प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 (पीएनडीटी एक्ट) की तरह इस बावत भी कड़े कानूनी प्रावधान बनाया जाना जरूरी है।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये आर. एन.टी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एस.के.कौषिक ने कहा कि रोग निदान तकनीक में रेडियों डायग्नोसिस का विषेश महत्व है।
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आंकड़ों में पाया गया कि राज्य में गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम 1994 का उल्लंघन किया जा रहा है।
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उपायुक्त ने बताया कि विभाग द्वारा प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम के अंतर्गत जिला में संचालित अल्ट्रासाऊंड केन्द्रों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है।
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वहाँ इस के लिए संभावित अनुप्रयोगों है कि वर्तमान विश्लेषणात्मक और निदान तकनीक के साथ नहीं किया जा सकता एक बहुत कुछ कर रहे हैं. ”
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प्रसव पूर्व निदान तकनीक के आधार पर एक विशिष्ट जैवीय असमानता अथवा अवस्था का पता लगाने के अनुज्ञा एवं उसके विनियमन का प्रावधान किया गया है।
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बेरियम एनीमा अध्ययन, एक विशेष एक्स-रे का उपयोग बेरियम वापस बीतने के माध्यम से शुरू तरल के माध्यम से एक और निदान तकनीक है.
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भविष्य की खोजों के साथ एक आशा व्यक्त की कि यह निदान तकनीक और जल्दी पता लगाने में सुधार होगा और अधिक सटीक आसान हो जाएगा है.