ऐसा अधिक संभव है कि मिकाप्टरा के निम्नस्थ सदस्यों से एक ओर द्विपक्ष (Diptera) और दूसरी ओर शल्कि पक्ष (Lepidoptera) और लोमपक्ष (Trichoptera) की उत्पत्ति हुई हो।
22.
इसके साथ हीं एक और भी कठिनाई यह है कि इस नृत्य में पद-संचालन में ही नृत्य का प्रदर्शन होता है और कलाकार का अधिक ध्यान कटि के निम्नस्थ अंगो पर हीं केन्द्रीत रहता है।
23.
माल्यार्पण एवं कुछ द्रव्य ' वर' को प्रदान करना हो, तो निम्नस्थ मन्त्रों से सम्पन्न करा दें-माल्यापर्ण मन्त्र-ॐ मंगलं भगवान् विष्णुः............ (पृ०...) द्रव्यदान मन्त्र-ॐ हिरण्यगर्भः समवत्तर्ताग्रे......... (पृ०...) तत्पश्चात् क्षमाप्रार्थना, नमस्कार, देवविसर्जन एवं शान्तिपाठ करें ।
24.
पिनांग में विकासशील भूमि की कमी के कारण कुछ भूमि पुनर्ग्रहण की परियोजनाएं लागू की गई हैं ताकि तनजुंग टॉकॉन्ग, जेल्यूटॉन्ग (जेल्यूटॉन्ग एक्सप्रेसवे का निर्माण) और क्वीन्सबे जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों में उपयुक्त निम्नस्थ भूमि मुहैया करायी जा सके.
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पिनांग में विकासशील भूमि की कमी के कारण कुछ भूमि पुनर्ग्रहण की परियोजनाएं लागू की गई हैं ताकि तनजुंग टॉकॉन्ग, जेल्यूटॉन्ग (जेल्यूटॉन्ग एक्सप्रेसवे का निर्माण) और क्वीन्सबे जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों में उपयुक्त निम्नस्थ भूमि मुहैया करायी जा सके.
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2006-07 के सत्र से शुरू होने वाले इन भुगतानों की रकम निम्नस्थ लीगों में क्लब के पहले दो सत्रों में £6. 5 मिलियन थी, हालांकि 2007-2008 में निर्वासित हुए क्लबों के लिए इसमें प्रति वर्ष £11.2 मिलियन की वृद्धि हुई थी.
27.
एक उष्णकटिबंधीय वर्षावन आम तौर से चार मुख्य परतों में विभाजित होता है, निर्गत (इमर्जेंट), वितानावरण (कैनोपी), निम्नस्थ वन-वितान (अंडरस्टोरी) तथा वनस्थल (फॉरेस्ट फ्लोर), प्रत्येक में उस क्षेत्र विशेष के साथ अनुकूलन कर पाने वाले भिन्न पौधे और जीव पाए जाते हैं.
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एक उष्णकटिबंधीय वर्षावन आम तौर से चार मुख्य परतों में विभाजित होता है, निर्गत (इमर्जेंट), वितानावरण (कैनोपी), निम्नस्थ वन-वितान (अंडरस्टोरी) तथा वनस्थल (फॉरेस्ट फ्लोर), प्रत्येक में उस क्षेत्र विशेष के साथ अनुकूलन कर पाने वाले भिन्न पौधे और जीव पाए जाते हैं.
29.
कई बार अभिजन समाज के सदस्य भी परिस्थितियों से टकराकर अथवा दूसरे अभिजन समूहों द्वारा बहिष्कृत होकर निम्नस्थ समूहों में खिसक जाते हैं. इस तरह चाहे-अनचाहे ‘ जन ' और ‘ अभिजन ' के बीच अंतरण का सिलसिला बना रहता है.
30.
सब हृद्रोगों की प्रवृत्ति धमनीगत रक्तचाप की घटाकर शिरागत रक्तचाप को बढ़ाने की ओर होती है और जब शिरागत रक्तचाप अधिक बढ़ता है, तब देर तक खड़े या लेटे रेने पर पैर, पीठ, फुफ्फुस इत्यादि निम्नस्थ अंगों में प्रथम जलशोथ प्रकट होकर धीरे धीरे अन्य अंगों पर फैलता है।