और तो और यह भी परंपरा है कि शिक्षकों को चेक के द्वारा मालिक से वेतन-भुगतान होता है और एक नियत राशि अपने पास रखकर शेष राशि शिक्षक पुनः मालिक को लौटा देता है।
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और तो और यह भी परंपरा है कि शिक्षकों को चेक के द्वारा मालिक से वेतन-भुगतान होता है और एक नियत राशि अपने पास रखकर शेष राशि शिक्षक पुनः मालिक को लौटा देता है।
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यहां बताना लाजिमी होगा कि केंद्रीय योजना आयोग द्वारा शहरी व ग्रामीण गरीबों की खुराक के लिए एक नियत राशि को जरुरी बताया था, तो भाजपा क्या मध्य प्रदेश की सरकार ने भी इसकी खुलकर आलोचना की थी।
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पर उसी साल क्लीवलैंड ने अपने अतिरिक्त स्वर्ण भंडार का उपयोग कर धनी बांड-धारकों को 100 डालर प्रति बांड की नियत राशि से 28 डालर अधिक की दर पर भुगतान किए-यह कुल 4करोड़ 50 लाख डालर का उपहार था।
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चूँकि मैं एक औसत परिवार से हूँ, और एक नियत राशि मेरे पिताजी द्वारा मेरे लिए प्रेषित की जाती है फिर भी मैं मँहगी से मँहगी किताब खरीद लेता हूँ, चाहे कोई कमीज खरीदनी हो तो मैं बाद में खरीदूँगा।
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पर उसी साल क्लीवलैंड ने अपने अतिरिक्त स्वर्ण भंडार का उपयोग कर धनी बांड-धारकों को 100 डालर प्रति बांड की नियत राशि से 28 डालर अधिक की दर पर भुगतान किए-यह कुल 4 करोड़ 50 लाख डालर का उपहार था।
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चूँकि मैं एक औसत परिवार से हूँ, और एक नियत राशि मेरे पिताजी द्वारा मेरे लिए प्रेषित की जाती है फिर भी मैं मँहगी से मँहगी किताब खरीद लेता हूँ, चाहे कोई कमीज खरीदनी हो तो मैं बाद में खरीदूँगा।
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यह वो व्यवस्था है, जिसके चलते पिछले छह साल से राज्य सरकार की ओर से कालाजार से बचाव के लिये एक पैसा खर्च नहीं किया गया, जबकि इस बीमारी को नियंμाण में रखने के लिये केन्द्र और राज्य दोनों को इस बारे में नियत राशि में आधा-आधा हिस्सा देना जरूरी है।
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एक सामान्य व्यक्ति अगर किसी की धरोहर को वापस नहीं करता या फिर बिना रखे मांगता है तो उस पर उसकी नियत राशि के बराबर जुर्माना किया जा सकता है पर जनता की धरोहर के रूप में प्राप्त धन का दुरुपयोग करने वाले राज्य कर्मचारियों को मामूली सजा नहीं बल्कि भारी पीड़ा देकर मौत जैसी सजा देने का प्रावधान करना इस बात का प्रमाण है कि मनुस्मृति की कुछ बातें आज भी प्रासंगिक हैं।
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एक सामान्य व्यक्ति अगर किसी की धरोहर को वापस नहीं करता या फिर बिना रखे मांगता है तो उस पर उसकी नियत राशि के बराबर जुर्माना किया जा सकता है पर जनता की धरोहर के रूप में प्राप्त धन का दुरुपयोग करने वाले राज्य कर्मचारियों को मामूली सजा नहीं बल्कि भारी पीड़ा देकर मौत जैसी सजा देने का प्रावधान करना इस बात का प्रमाण है कि मनुस्मृति की कुछ बातें आज भी प्रासंगिक हैं।