फिर भी, इस साझा मँच पर एक पाठक के नाते अपनी निरर्थक बात भी कहने का अधिकार तो है, ही!
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जब तक आप लोग इसी तरह देश के दिशाहीन नेताओं की बात को दर्शाते और प्रर्दशित करते रहेंगे वे इसी तरह निरर्थक बात करते रहेंगे.
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भारत से अमेरिका की मित्रता स्वाभाविक कारणों से है और वहां के किसी भी राष्ट्रपति से यह आशा करना कि वह उसके लिये कुछ करेंगे निरर्थक बात है।
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भारत से अमेरिका की मित्रता स्वाभाविक कारणों से है और वहां के किसी भी राष्ट्रपति से यह आशा करना कि वह उसके लिये कुछ करेंगे निरर्थक बात है।
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1929 लाहौर कांग्रेस में दुर्गा भाभी और अन्य क्रान्तिकारियों द्वारा वितरित भगत सिेह और भगवतीचरण वोहरा द्वारा लिखित हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के घोषणा पत्र में लिखा गया था,-‘‘ आजकल यह फैशन हो गया है कि अहिंसा के बारे में अन्धाधुन्ध और निरर्थक बात की जाये।
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भारतीय आत् मा के लिए तो बेशक और कम से कम अब तक के भारतीय इतिहास की आत् मा के लिए और देश के सांस् कृतिक इतिहास के लिए, यह अपेक्षाकृत निरर्थक बात है कि भारतीय पुराण के ये महान लोग धरती पर पैदा हुए भी या नहीं।
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.....आजकल यह फ़ैशन हो गया है कि अहिंसा के बारे में अंधाधुंध और निरर्थक बात की जाए.महात्मा गांधी महान हैं और हम उनके सम्मान पर कोई भी आंच नहीं आने देना चाहते, लेकिन हम यह दृढ़ता से कह सकते हैं कि हम देश को स्वतंत्र कराने के उनके ढंग को पूर्णतया नामंजूर करते हैं.
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.....आजकल यह फ़ैशन हो गया है कि अहिंसा के बारे में अंधाधुंध और निरर्थक बात की जाए.महात्मा गांधी महान हैं और हम उनके सम्मान पर कोई भी आंच नहीं आने देना चाहते, लेकिन हम यह दृढ़ता से कह सकते हैं कि हम देश को स्वतंत्र कराने के उनके ढंग को पूर्णतया नामंजूर करते हैं.
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यह काफ़ी होगा अगर आप जानें कि हमारे विचार बेहद मज़बूत और तेज़-तर्रार हैं जो न सिर्फ़ हमें आगे बढ़ाए रखते हैं बल्कि फांसी के तख़्ते पर भी मुस्कराने की हिम्मत देते हैं........... ‘महात्मा गांधी का ढंग नामंज़ूर'.....आजकल यह फ़ैशन हो गया है कि अहिंसा के बारे में अंधाधुंध और निरर्थक बात की जाए।
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आजाद हिन्द फौज के नायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को कौन भूल सकता है? 1929 लाहौर कांग्रेस में दुर्गा भाभी और अन्य क्रान्तिकारियों द्वारा वितरित भगत सिेह और भगवतीचरण वोहरा द्वारा लिखित हिन्दुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के घोषणा पत्र में लिखा गया था,-‘‘आजकल यह फैशन हो गया है कि अहिंसा के बारे में अन्धाधुन्ध और निरर्थक बात की जाये।