उनकी हंसमुख जिजीविषा में निरहंकारी नम्रता व लाक्षणिक सज्जनता का रूपायन है और उनका कलात्मक अन्तःकरण ऋजुछन्दों में सांस लेता है।
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तीसरा गम्भीर, क्षमावान, निरहंकारी वीर और दृढ़व्रत क्षत्रिय राजा होता है तथा चौथा अहंकारी, आत्मप्रशंसक और ईर्ष्यालु प्रकार का होता है.
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उनकी हंसमुख जिजीविषा में निरहंकारी नम्रता व लाक्षणिक सज्जनता का रूपायन है और उनका कलात्मक अन्तःकरण ऋजुछन्दों में सांस लेता है।
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ऊंचे ते ऊंचा बनाता है क्योंकि हम हर कर्म स्वाभिमान में रहते हुए, आत्माभिमान से संसिक्त हो निरहंकारी बन करते हैं.
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तीसरा गम्भीर, क्षमावान, निरहंकारी वीर और दृढ़व्रत क्षत्रिय राजा होता है तथा चौथा अहंकारी, आत्मप्रशंसक और ईर्ष्यालु प्रकार का होता है.
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देखना है कि हमारी भुजा, आँख, मस्तिष्क बनने के लिए तुम कितना अपने अहं को गला पाते हो? इसके लिए निरहंकारी बनो।
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“राधाकृष्णन निरहंकारी, अपनी उपलब्धियों के बारे में अत्यंत अल्पभाषी थे, लेकिन दूसरों के अच्छे कार्यों की त्वरित और उदार सराहना करने से पीछे नहीं हटते हैं.
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“राधाकृष्णन निरहंकारी, अपनी उपलब्धियों के बारे में अत्यंत अल्पभाषी थे, लेकिन दूसरों के अच्छे कार्यों की त्वरित और उदार सराहना करने से पीछे नहीं हटते हैं.
29.
गाँधी जी ने इसी प्रकार छोटे-छोटे सदगुणों के महात्म्य समझाते हुई अनेक लोकसेवियों के जीवनक्रम को ढाला, उन्हें सच्चे निरहंकारी स्वयंसेवक के रूप में विकसित किया।
30.
अपनी प्राप्ति पर तुमें ज़रा भी गुमान (अभिमान, अहंकार) न हो. नोटिस नहीं लेना है अपनी प्राप्ति का. निरहंकारी बनना है.