ज्ञानी तो इशारे से ही देने को तैयार हो जाता है मगर नीच लोग गन्ने की तरह कुटने पिटने के बाद ही देने [...]
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यदि ऐसा हो तो नीच लोग यदि सलाम भी करें, तो एक प्रकार से हर्ज नहीं हैं, परंतु पालागन तो बहुत अच्छा है।
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विद्वान लेखक भी कभी कभी इस बात से बडे परेशान होते थे कि नीच लोग अंग्रेज़ी राज में कुछ ज़्यादा ही बढ चढ गये हैं.
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ज्ञानी तो इशारे से ही देने को तैयार हो जाता है मगर नीच लोग गन्ने की तरह कुटने पिटने के बाद ही देने को राजी होते हैं ।
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अजय भाई आपको यह अंदाजा भी हो गया होगा की इसी दुनिया में कितने नीच लोग रहते हैं-मैं समझ रहा हूँ की यह किसकी खुरापात हो सकती है!
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अजय भाई आपको यह अंदाजा भी हो गया होगा की इसी दुनिया में कितने नीच लोग रहते हैं-मैं समझ रहा हूँ की यह किसकी खुरापात हो सकती है!
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15 परन्तु जब मैं लंगड़ाने लगा तब वे लोग आनन्दित होकर इकट्ठे हुए, नीच लोग और जिन्हें मैं जानता भी न था वे मेरे विरुद्ध इकट्ठे हुए; वे मुझे लगातार फाड़ते रहे;
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ऐसे नीच लोग मंदिरों में किस मुंह से जाते होंगे? और समाज क्यों ऐसे लोगों के प्रति भी निर्दय नहीं होता! ऐसे लोगों का सामाजिक वहिष्कार नहीं करता? सादर!
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हमारे देश की विडम्बना रही है कि देश प्रेमियों के बीच अनगिनत गद्दार भी रहे, जिनकेबारे में जानकर यकीन नहीं होता कि अपने देश पर मर मिटने वालों के बीच ऐसे नीच लोग भी थे।
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वर्तमान सरकार की बात तो छोड़ ही दीजिये-इसमें तो इतने नीच लोग भरे हैं कि पंचायत से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक का कोई भी फैसला लेते वक्त सिर्फ और सिर्फ यह देखते हैं कि कहीं उनके “