हो सकता है पस जिस सूरत में कुरआन मजीद में ऐसी आयत ही नदारद है कि जिसका तर्जुमा सत्यार्थ प्रकाश में मज़कूरा बाला अल्फ़ाज़ में दिया गया है तो इस बेबुनियाद बात पर जिस क़द्र नुकताचीनी होगी वह नुकता चीनी भी ज़मीन पर गिर जायेगी।
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जिनके बारे में उनको बताया गया था कि वह अहले इस्लाम के नज़दीक मुस्तनद हैं गो अहले इस्लाम उनको मुस्तनद न मानते हों चुनांचे ख़ुद स्वामी दयानन्द ने कुरआन मजीद पर नुकता चीनी शुरू करने से पेशतर अपनी इस पोज़िशन को बदीं अल्फ़ाज़ वाज़ेह कर दिया है।
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स्वामी दयानन्द ने कुरआन पर नुकता चीनी करने से पहले ही लिख दिया था कि-‘‘ अगर कोई कहे कि ये तर्जुमा ठीक नहीं है तो इसको लाज़िम है कि मौलवी साहेबान के किये हुए तर्जुमों की पहले तरदीद करे इसके बाद इस मज़मून पर क़लम उठाये।
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जलती बुझती रोशनियों में साया साया जलता था सारा कमरा व्हिस्की और सिगरेट की बू में डूबा था उबल रह था ज़हर रगों में, मौत का नशा छाया था सारा मंज़र नुकता नुकता, मुहमल मुहमल सा लगता था शायद कुछ दिन पहले तक यह कोई भूत बसेरा था
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जलती बुझती रोशनियों में साया साया जलता था सारा कमरा व्हिस्की और सिगरेट की बू में डूबा था उबल रह था ज़हर रगों में, मौत का नशा छाया था सारा मंज़र नुकता नुकता, मुहमल मुहमल सा लगता था शायद कुछ दिन पहले तक यह कोई भूत बसेरा था
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आगे रखकर उन पर नुकता चीनी करते हुए अपनी राय का इज़हार किया है इसी तरह हर एक शख़्स को ये हक़ हासिल है कि वह स्वामी दयानन्द के वेद भाष् य को जो कि स्वामी दयानन्द और आर्य समाज के नज़दीक मुसतनद है, सामने रखकर वेदों के मुतअल्लिक़ अपनी राय का इज़हार करे।
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बहुत ही अच्छी बात बताई आप ने मेरे साथ कई बार हुआ, लेकिन हम ने भी टेम्पलेट बदल के ही छोडा, ओर अब तो आप वाला ही नुकता अपना शुरु कर रखा है, इस से समय भी बहुत बच जाता है, लेकिन लिन्क लिस्ट को केसे सेव करे यह जरुर बताये.
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मेरे एक दोस्त ने बतलाया कि उनके कस्बे के एक मौलाना, मस्जिद के पेश इमाम, मदरसे के मुतवल्ली कुरान के आलिम, बड़े मोलवी, ग्राम प्रधान रहे हज़रात ने कस्बे की रंडी हशमत जान का खेत पटवारी को पटा कर जीम का नुकता बदलवा कर नीचे से ऊपर करा दिया जो जान की जगह खान हो गया.
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ना जाने कितनी हो चुकी हैं जोश की बातें अब इश्क़ में कुछ चाहिए भी होश की बातें हमको बदलना इश्क़ में सब ठीक ठाक है उनपे जो आई बात तो गुलपोश की बातें महफ़िल में अजनबी की तरह आप जो मिले आती हैं बहुत याद वो आगोश की बातें वालिद हैं आपके की नुकता ची के हैं
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ना जाने कितनी हो चुकी हैं जोश की बातें अब इश्क़ में कुछ चाहिए भी होश की बातें हमको बदलना इश्क़ में सब ठीक ठाक है उनपे जो आई बात तो गुलपोश की बातें महफ़िल में अजनबी की तरह आप जो मिले आती हैं बहुत याद वो आगोश की बातें वालिद हैं आपके की नुकता ची के हैं...