पंक्ति दर पंक्ति फलाँगता जाता हूँ और ऐन वहीं जा कर मेरी कलम रुकती है जहाँ सुभाष दा से गलती की अपेक्षा होती और मजे की बात,
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पंक्ति दर पंक्ति गौरवमय काल से बने घरों और प्रिसटीन स्क्वेर से यह अधिकांश क्षेत्र बना है, लेकिन वहीं अनेक अत्यन्त महंगी दुकानें, रेस्टोरेन्ट एवं आकर्षक मदिरालय भी हैं।
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कई दिनों के इंतज़ार के बाद आपने अपनी इस बेहतरीन कृति से परिचित कराया | पंक्ति दर पंक्ति दिल में उतरती गई | बहुत-बहुत आभार आपका......इसे इस मंच पर साझा करने के लिए!!
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बेहद प्रभावी उक्तियों, मुहावरों, प्रेरक प्रसंगों, कविताओं के टुकड़ों और शायरी से सुसज्जित पुस्तक पंक्ति दर पंक्ति पाठक के मानस में उतरती जाती है और बड़ी सहजता से उसे बदलने का साहस भी दिखा देती है।
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पंक्ति दर पंक्ति पृष्ठ दर पृष्ठ उठाया-पलटा खंगाला-उलीचा कोई नहीं मिला फिर कौन बोला किसने मौन तोड़ा शब्द को अर्थ किसने दिया क्या कोई पात्र जीवंत हो गया? मैं सहसा कितना डर गया!!
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हम हिन्दी वाले अक्सर “पोलिटकली चार्ज्ड” कविता की बात करते हैं और साथी मनोज पटेल ने ऐसे कवि को ढूँढ निकाला है जिसकी कविताओं से गुजरते हुए हम “पोलिटकली चार्ज्ड” शब्दयुग्म के भाव को पंक्ति दर पंक्ति महसूस करेंगे.
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हम हिन्दी वाले अक्सर “ पोलिटकली चार्ज्ड ” कविता की बात करते हैं और साथी मनोज पटेल ने ऐसे कवि को ढूँढ निकाला है जिसकी कविताओं से गुजरते हुए हम “ पोलिटकली चार्ज्ड ” शब्दयुग्म के भाव को पंक्ति दर पंक्ति महसूस करेंगे.
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अवाम की आवाज़ में हुक्मरानों के ख़िलाफ़ पंक्ति दर पंक्ति व्यंग्य की लज़्ज़त महसूस करना और ताली बजाकर उसके साथ समर्थन का रोमांच जिन श्रोताओं की यादों का हिस्सा है उन्हें इक़बाल बानो की मौत कैसे खल रही होगी इसका अंदाज़ा हम लगा सकते हैं।
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प्रस्ताव में, लागत और लाभ का अध्याय और विस्तृत पंक्ति दर पंक्ति वाला आय व्यय पत्र, जो पूरे पैसे का ब्यौरा देता, दोनों एक ही चीज़ नहीं है | (विस्तृत आय व्यय पत्र प्रलेख के अंत में परिशिष्ट में डालना चाहिए, नाकी विषय में) |
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नए बरस में पहाड़ लांघने और इस दुनिया से उस दुनिया में जाने का संकल् प, उत् साह, हिम् मत, आकांक्षा और सपने देखने और उनके पूरे होने तक की कठिन लेकिन जीवंत यात्रा पंक्ति दर पंक्ति यानी कदम दर कदम आगे बढ़ रही है. मुबारक हो यह सफर...