भगवान शिव की आराधना में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला मंत्र है शिव पंचाक्षरी मंत्र ।।
22.
दिन भर शिव के पंचाक्षरी मंत्र ¬ नमः शिवाय का मन ही मन जप करते रहें।
23.
गायत्री मंत्र का अगला क्रम पंचाक्षरी के बाद ‘ तत् ' के बाद शुरू होता है।
24.
यदि कम पढ़े लिखे हैं, तो केवल पंचाक्षरी ‘ ॐ भूर्भुवः स्वः ' का जप करें।
25.
आचार्य ने उसे पंचाक्षरी मंत्र (नमः शिवाय) की दीक्षा देकर तप करने के लिये प्रेरणा दी।
26.
बहरे मुतकारिब और बहरे मुत दारिक ये दोनों ही पंचाक्षरी रुक् नों से बनी मुफरद बहरें हैं ।
27.
-स्नान के बाद यथाशक्ति गन्ने के रस की धारा शिवलिंग पर नीचे लिखें मंत्र या पंचाक्षरी मंत्र नम:
28.
पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैव्र्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम॥-ध्यान के बाद शिव के पंचाक्षरी या षडाक्षरी मंत्र ‘
29.
वह शिवजी का परम भक्त था, और सदैव पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय का जप किया करता था ।
30.
अधिक न बने, तो गायत्री चालीसा पाठ एवं पंचाक्षरी मन्त्र 'ॐ र्भूभुवः स्वः' का जप ही कर लिया करे ।