थोड़ी देर बाद राजू ने पटाक की आवाज से अपना लण्ड बाहर खींचा तो गुलाबी गाण्ड हुच हुच कर लौड़े का झाग वाला पानी उगलने लगी।
22.
जितने हाथरसी पटाक तख़ल्लुस के कवि हाथरस में हैं, उतने विश्व के किसी कोने में अपने शहर के नाम को देदीप्यमान करने वाले कवि नहीं मिलेंगें।
23.
परमा थोड़ी भी चूँ पटाक करता दरोगा उसकी कमर में डंडा जड़ता और परमा, कमर पर डंडा पड़ते ही मुन्नालाल की माँ-बहन के साथ रिश्ते जोड़ने लगता।
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बावली रीटा पटाक की अवाज़ से चुम्बन तोड़ती और हाँफते हुई राजू के कान में फुसफुसाती बोली-भईया आपको छोटी-छोटी स्कूल गर्ल्स से ऐसी बाते करते शर्म नहीं आती?
25.
भैयाजी बनारसी, चोंच बनारसी, बेढब बनारसी जैसे कई बनारसी आपको मिल जाएंगे, लेकिन हाथरस ने इस पटाक तख़ल्लुस या उपनामोपनाम रखने की परंपरा में कीर्तिमान स्थापित किया।
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वो क्या है कि लेखक को अपना व्यक्तित्व दिखाने के लिये कुछ चटाक पटाक करना पड़ता रहता है, बेचारे राजेन्द्र यादव के साथ में भी कुछ एसा ही है.
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हाथों की मसल्स तुरंत एक्शन में आ जाती हैं दाया हाथ तुरंत उठता है और बायें हाथ तक पहुँच जाता है और पटाक से मच्छर का मर्डर हो जाता है ।
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हाथों की मसल्स तुरंत एक्शन में आ जाती हैं दाया हाथ तुरंत उठता है और बायें हाथ तक पहुँच जाता है और पटाक से मच्छर का मर्डर हो जाता है ।
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तो मानसी पटाक से बोली-‘ मै तो खाती हूँ ' और इसके आगे किसी तरह का इंतज़ार किए बिना बेधडक बोली-मुझे टाफ़ी चाहि ए... मुझे टाफ़ी खानी है...
30.
मेरा अनुमान है कि हाथरस में उन्नीसवीं शताब्दी के अंत और बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में ज़रूर कोई उर्दू के शायर रहे होंगे जिन्होंने अपने नाम के आगे हाथरसी पटाक तख़ल्लुस लगाया होगा, लेकिन जो पहला नाम लोकपि्रय हुआ, वह था-काका हाथरसी।