पत्रकारिता के इस पतन काल में श्रीमान लिमटी खरे सर का एवं उन सभी पत्रकारों का सम्मान होना चाहिए जो की चाटुकारिता कर लखपति बनने के बजाये कंगाल होकर इस पत्रकारिता के बचे खुचे गौरव को बनाये रखने का कार्य कर रहे हैं।
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क् या आने वाले समय में, युगांतर काल में, आखिरी पाँव सौ वर्षों में, इस सम् यक शिक्षा के पतन काल में जो कि जब इस सूत्र के ये बचन समझायें जा रहे होंगे तो इनके सत् य को समझेंगे? Continue reading →
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हम जब सारी माया त्याग, सबसे विरत हो गए, अब क्यों फँसें दलदल में?. ' देवी ने प्रबोधने का यत्न किया-‘ संसार में जन्मे हो, उसका निर्वाह कौन करेगा? जब पतन काल में बर्बर, अनाचारी और अनीतियों के पोषक तत्व प्रबल होने लगें.
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मुर्दे भी उस स्वर्ग में पहुँचकर भूल गए अपनी मृत्यु पीड़ा; उल्लास के मारे फूलकर ढोल हो गए, और उनके भी रोम रोम से यही आवाज आती थी 'यहीं है, यहीं है।” पतन काल के ध्वं,सकारी आघातों, विपत्ति के झोंकों और प्रलयंकर प्रवाहों के उपरान्त सम्पत्ति के जीर्ण, शीर्ण और जर्जर अवशेषों के बीच मरती हुई कामनाओं, उठती हुई वेदनाओं, उमड़ते हुए ऑंसुओं, दहकती हुई आहों तथा नैराश्यपूर्ण बेबसी, दीनता और उदासी का एक लोक ही अपनी प्रतिभा के बल से महाराजकुमार ने खडाकर दिया है।