सूर्य के आगमन से पहले उसके पद-चिह्न, आकाश में बादलों के छिटकते टुकड़े के रूप में श्यामल से नारंगी होते दिखाई दे रहे थे।
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सूर्य के आगमन से पहले उसके पद-चिह्न, आकाश में बादलों के छिटकते टुकड़े के रूप में श्यामल से नारंगी होते दिखाई दे रहे थे।
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यह क्यों? हमारे ऋषि मुनि दिव्य ज्ञान और ऋतम्भरा प्रज्ञा के कारण जो पद-चिह्न छोड़ गये हैं, हम तो केवल उनका अनुकरण मात्र ही कर सकते हैं।
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कहीं कुछ नहीं-केवल बर्फ पर कुछ-एक पद-चिह्न झील की ओर जाते हुए और झील के किनारे तक जाकर लुप्त-और उससे आगे कुछ नहीं, केवल अभेद्य अवगुंठन डाले हुए चिरन्तन सौन्दर्य-नीरव सस्मित, रहस्यमय...
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इधर देवी ने प्रकट होने के पश्चात् देवाधिदेव महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या प्रारंभ की जहां शिला पर सती के पद-चिह्न का अंकन आज भी देखा जा सकता है।
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मैं प्रथम चमत्कृत रश्मिरथी बन निकल पडा पथ पर बाहर नापता रहा अनवरत जगत की भूल-भुलैया भरी डगर ग्रह नक्षत्रों के बीच विविध छोडा हमने पद-चिह्न जाल-लघु नहीं हमारी यात्रा उसमें लग जायेंगे दीर्घकाल ।।
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पद-चिह्नो पर चलकर तुम भीकोई राह नहीं पाओगेचिह्न बनाकर आगे बढ़तेकोई राह ढूँढ पाओगेसच मे पद-चिह्नो पर चलने वाले बहुत हे, लेकिन अपने पद-चिह्न बना कर जो चलते हे वोही राह भी पाते हे, धन्यवाद इतनी सुन्दर कविता के लिये.
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कारण यह है कि अल्लाह के पद-चिह्न तो हैं नहीं जिनके पीछे चला जा य. द ूसरी बात यह है कि रसूल के आदेश भले ही वह उनकी ज़बान से निकले हों वास्तव में अल्लाह के आदेश ही हैं.
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पद-चिह्नो पर चलकर तुम भी कोई राह नहीं पाओगे चिह्न बनाकर आगे बढ़ते कोई राह ढूँढ पाओगे सच मे पद-चिह्नो पर चलने वाले बहुत हे, लेकिन अपने पद-चिह्न बना कर जो चलते हे वोही राह भी पाते हे, धन्यवाद इतनी सुन्दर कविता के लिये.
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अब गलत इरादे से बढ़े तुम्हारे हर हाथ को हजारों तीखे दंश झेलने ही पड़ेंगे चारों तरफ से अब तुम्हारे किसी भी बहके हुए कदम को आतंक के पद-चिह्न छोड़ने के लिए नहीं मिलेगा एक भी ठौर अब पूरी निशानदेही होगी तुम्हारी चप्पे-चप्पे पर और हर गली-कूचे में कड़ी निगरानी होगी तुम्हारी हिस्ट्री-शीटरों की तरह।